वैन (भिवानी - हरियाणा ब्यूरो - 27.09.2022) :: भिवानी के पशु चिकित्सक लगातार प्रशासन व जनता को गुमराह कर दूसरी वाहवाही लूटने में लगे हुए है। पहले जहां भिवानी के पशु चिकित्सकों द्वारा भिवानी की गौशाला में घायल गायों के ईलाज के लिए इन्फ्रामरी स्थापित किए जाने की बात कही गई, जो कि गौशाला द्वारा जारी पत्र के बाद झूठी साबित हुई और अब अमावस्या के दिन अत्याधिक गौग्रास से काल का ग्रास बनी एवं उपचाराधीन गाय का झूठा आंकड़ा पेश कर एक बार फिर जनता को बरगलाने का काम किया जा रहा है। यह बात गौरक्षा दल के प्रधान संजय परमार ने घायल गाय व अन्य जानवरों के उपचार के लिए मना करने वाले पशु चिकित्सक डॉ. प्रवीण, डॉ. सुभाष एवं डॉ. दिनेश एवं इनका साथ देने वाले विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुखदेव राठी को सस्पैंड करने की मांग की जारी धरने के 14वें दिन कही। पशु चिकित्सकों द्वारा गाय की मौत के झूठे आंकड़े पेश करने एवं गौरक्षकों की सेवा का श्रेय भिवानी के पशु चिकित्सकों को देने के खिलाफ मंगलवार को गौरक्षकों ने मृत पशुओं को लेकर शहर भर में प्रदर्शन किया तथा स्थानीय पुलिस लाईन के सामने भिवानी पॉलिक्लीनिक से उठकर रोहतक गेट पर धरना दिया। इस दौरान उनके साथ गौरक्षा दल, विश्व हिंदु परिषद, बजरंग दल, आजाद सेना, शहीदे-ए-आजम भगत सिंह सेवा ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
इस मौके पर गौरक्षा दल के प्रधान संजय परमार ने कहा कि एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी। यह कहावत इन दिनों भिवानी के पशु चिकित्सकों पर सटीक बैठ रही है। उन्होंने कहा कि जब पशु चिकित्सकों को बेसहारा गाय एवं अन्य जानवरों के ईलाज के लिए सूचित किया जाता है तो पशु चिकित्सक पूरे रौब के साथ मना करते है, वही जब गौरक्षक पशु चिकित्सकों की इस लापरवाह कार्यप्रणाली का विरोध जताते है तो गौरक्षकों की सेवा को अवैध करार दिया जाता है। यही नहीं गौरक्षकों ने अमावस्या के तीन दिन पहले से पूरी-पूरी रात शहर में घूमकर बेसहारा गायों को मौत से बचाने के बचाने के लिए अस्थायी बाड़े में बंद किया और अब पशु चिकित्सक यह कह रहे है कि उनकी जागरूकता की वजह से बीमार गाय को बचाया गया। परमार ने कहा कि विभाग के उपनिदेशक घायल जानवरों के ईलाज की दिशा में कार्य करना नहीं, बल्कि सुर्खियों रहकर वाहवाही बटोरना चाहते है।
परमार ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायाल के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर अपनी मनमानी करने वाले पशु चिकित्सकों एवं उपनिदेशक की लापरवाही के कारण आज बेजुबान काल का ग्रास बन रहे है, लेकिन फिर भी सरकार व प्रशासन मोन धारण किए हुए है। परमार ने कहा कि चार दिन पहले भी पशु चिकित्सकों की कोताही के कारण भिवानी के पशु अस्पताल में ही जानवर मृत अवस्था में मिले थे, क्योंंकि पशु अस्पताल में ईलाज के लिए लाए गए जानवरों का ईलाज करने की बजाए पशु चिकित्सक बाहर से ताला बंद कर चले गए तथा सुबह आकर देखा तो वहां पर कुछ पशु मृत थे तथा कुछ तड़प रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी शहर या किसी ग्रामीण क्षेत्र में कोई जानवर घायल हो जाता है तो उसके उपचार के लिए गौरक्षकों द्वारा पशु चिकित्सक को सूचना दी जाती है, लेकिन पशु चिकित्सक दुर्घटनास्थल पर जाकर घायल पशु चिकित्सकों का ईलाज करने की बजाए फोन तक उठाना जरूरी नही समझते।
परमार ने कहा कि उनकी मांग है कि घायल जानवरों का ईलाज करने से मना करने वाले पशु चिकित्सकों को सस्पैंड किया जाए, पशु चिकित्सकों का टोल फ्री नंबर जारी किया जाए, घायल पशुओं के ईलाज के लिए सुबह साढ़े 7 बजे से पहले या रात 8 बजे के बाद सुविधा नहीं है इसीलिए 24 घंटे पशु चिकित्सकों की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए ताकि ईलाज के अभाव में पशु दम ना तोड़।
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