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वैन (दिल्ली ब्यूरो - 11.04.2024) :: हिंदू धर्म में नव संवत्सर का महत्व असाधारण है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, हिंदुओं के नव वर्ष का आरंभ दिन है । इसी दिन सृष्टि की निर्मिति हुई थी, इसलिए यह केवल हिंदुओं का ही नहीं अपितु समस्त सृष्टि का नव वर्ष आरंभ है। चैत्र शुद्ध प्रतिपदा को वर्ष आरंभ करने के नैसर्गिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण हैं। यह सृष्टि की निर्मिति अर्थात सतयुग के प्रारंभ का दिन है। ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया अर्थात सतयुग का प्रारंभ इस दिन हुआ । इसलिए इस दिन वर्ष आरंभ किया जाता है । नव संवत्सर चैत्र प्रतिपदा यही पृथ्वी पर वास्तविक वर्षारंंभ दिन है। नव संवत्सर चैत्र प्रतिपदा को प्रारंभ होने वाले नवीन वर्ष का कालचक्र विश्व की उत्पत्ति काल से संबंधित होने से सृष्टि नवचेतना से परिपूर्ण होती है। नव संवत्सर चैत्र प्रतिपदा के दिन प्रारंभ होने वाले नव वर्ष की तुलना सूर्योदय के समय प्रारंभ होने वाले तेजोमय दिन से कर सकते हैं, प्रकृति नियम के अनुसार की गई बातें, कार्य मानव के लिए पूरक अर्थात लाभदायक होती हैं । इसी तरह उसके विपरीत की हुई बातें मानव के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए नव संवत्सर चैत्र प्रतिपदा के दिन ही नव वर्ष का प्रारंभ मानना हमारे लिए हितकर है। नवसंवत्सर का विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व होने के कारण दिल्ली में मंदाकिनी एन्क्लेव, अलकनंदा; नोएडा में इंदिरा गांधी कला केंद्र सेक्टर 6, नोएडा; फरीदाबाद सेक्टर 28 मे स्थित श्री शिव शक्ति मंदिर में तथा मथुरा में नववर्ष मेले में ग्रन्थ प्रदर्शनी लगाई गई। फरीदाबाद के सेक्टर 28 में स्थित श्री शिव शक्ति मंदिर में नववर्षारंभ ब्रह्मध्वज पूजन का आयोजन किया गया। पूजन उपरांत ब्रह्मध्वज को सनातन संस्था के साधक श्री जीवन शर्मा जी द्वारा मंदिर प्रांगण की छत पर प्रजापति तरंगों को ग्रहण करने हेतु लगाया व इस पूजन निमित्त विशेष रूप से नीम शहद व चने की दाल के प्रसाद का भी वितरण किया गया सनातन संस्था की ओर से श्री गुलशन किंगर जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही नववर्ष आरंभ दिवस है इस विषय मे जानकारी दी । मार्गदर्शन के समय उपस्थित भक्तों ने मिलकर "श्री दुर्गा दैव्ये नमः" नामजप किया व ग्रन्थ प्रदर्शनी का सभी ने लाभ लिया। सभी को नामजप से बहुत आनंद हुआ।
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