10 दिन से नहीं पकड़ा जा सका तेंदुआ आई आईटी कानपुर में फिर दिखा

वैन (पंकज यादव - कानपुर, उत्तर प्रदेश - 08.11.2022) :: आईआईटी क्षेत्र मे देखा गया तेंदुआ 10 दिन बाद भी पकड़ा नहीं जा सका है। बीते 3 दिन से कैमरे से ओझल रहा तेंदुआ पिछले दो दिनों से राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) में मौजूद नजर आ रहा है। गुरुवार शाम से लेकर शुक्रवार शाम 6 बजे तक वह 4 बार गर्ल्स हास्टल के आसपास दिखा लेकिन वनकर्मी अबतक उसे पकड़ नहीं सके हैं। तेंदुआ एक जंगली सूअर और नील गाय के बच्चे काे शिकार बना चुका है।

बतातें चलें कि 26 अक्टूबर को तड़के आईआईटी के गार्ड ने हवाई पट्टी के पास पहली बार तेंदुआ देखा था। दो दिन तक उसकी तलाश वन विभाग और संस्थान के सुरक्षा कर्मी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से करते रहे थे। लेकिन कुछ पता नहीं चला था। स्कूलों में भी छुट्टी कर दी गई थी और छात्रों को हास्टल के अंदर रहने को कहा गया था। दो दिन बाद तेंदुआ आईआईटी से जीटी रोड पार करके सामने राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में पहुंच गया था, जिसे देखकर सुरक्षा कर्मी सहम गए थे। इसके बाद वो आईआईटी संस्थान से सटे इलाकों में घूमता दिखा था। गुरुवार की शाम को फिर एनएसआई के कैमरे में नजर आया तेंदुआ 10 दिन से आईआईटी और एनएसआई के बीच घूम रहा है।

काफी चालाक है, पकड़ में नहीं आ रहा तेंदुआ. . .

वन विभाग के कर्मियों की मानें तो तेंदुआ बेहद चालाक है। वह आईआईटी और एनएसआई कैंपस के कैमरों में बार बार नजर आ रहा है लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा है। उसके रास्तों में हाईमास्ट लाइट लगाई गईं हैं लेकिन वो तेज रोशनी देखकर रास्ता बदल देता है और अंधेरे रास्ते से निकल जाता है। तेंदुआ अबतक एक जंगली सुअर और नील गाय के बछड़े का शिकार कर चुका है लेकिन वन विभाग की टीम द्वारा बांधी गई बकरी को उसने छुआ तक नहीं। पिंजरे से निकालकर खुले में बांधी गई बकरी को नुकसान पहुंचाये बिना वह निकल गया। इसी तरह उसके रास्ते पर जो जाल बिछाया गया था, वो उसके ऊपर से फांदकर निकल गया। इतना ही नहीं वह अबतक किसी भी पिंजरे के पास फटका तक नहीं है।

बेहद तेज रफ्तार से भाग निकलता है. . .

तेंदुए की रफ्तार इतनी तेज है कि सोमवार रात सवा 10 बजे एनएसआई में दिखा तो 11 बजे आईआईटी जा पहुंचा। आईआईटी के सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि रात करीब 11 बजे वह संस्थान के जंगल में मुख्य गेट के पास पहुंचा था। वहां उसने जोर से दहाड़ लगाई तो सभी सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए। वन विभाग की टीमें भी ट्रैंकुलाइजर गन लेकर पहुंचीं और बकरी को खुले में बांधा। उसकी रफ्तार इतनी तेज थी कि वन कर्मी का ट्रैंकुलाइजर का निशाना चूक गया और उसे बेहोश नहीं कर सके। सोमवार की रात के समय तेंदुए के गर्ल्स हास्टल के पीछे की तरफ दिखने की जानकारी पर कैमरे लगवाए गए।

महीन धागे वाला जाल बिछाया गया. . .

तेंदुए के आने जाने के रास्ते पर महीन धागे वाला जाल बिछाया गया है। साथ ही तेंदुए को बेहोश करने में इस्तेमाल होने वाली ट्रैंकुलाइजर गन के साथ दो निशानेबाजों को भी तैनात किया गया। एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि तेंदुआ संस्थान के जंगल में है। गर्ल्स हास्टल के पास के गन्ने के खेत से वह आता दिखा और आवास के सामने की तरफ जंगल में चला गया। सफाई कराने के साथ ही वहां रोशनी की व्यवस्था की गई है। वन विभाग की टीमें दिन में कांबिंग करती हैं, लेकिन रात में जंगल के भीतर जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। विभाग के पास ट्रैंकुलाइजर गन है, जो बख्तरबंद वाहन है, वह काफी बड़ा है और जंगल के अंदर नहीं जा सकता। छोटे वाहन नहीं हैं।

आईआईटी और एनएसआई के आसपास जंगल भी काफी इतना घना है। नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट का क्षेत्रफल 525 हेक्टेयर का है, जंगल में तेंदुए को रहने खाने पीने की किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आ रही। इसलिए तेंदुए ने अब अपना प्रवास यही बना लिया है। आईआईटी कैंपस और एनएसआई में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलने और कहीं जाने के लिए कहा गया है।

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