वैन (हेमन्त कुमार शर्मा - दिल्ली) :: सुना है कि जब आधी रात को बच्चा रोता है, सोता नहीं है या फिर परेशान करता है तो माँ कहती है "बेटा सो जा, नहीं तो गब्बर आ जायेगा"। बच्चा डर जाता है और या तो सो जाता है अन्यथा सोने का नाटक करता है। लेकिन यहां दास्तां कुछ और ही है मेरे दोस्त। क्या बच्चा, क्या जवान, क्या बुजुर्ग और क्या महिलायें, रात आधी हो या फिर उसके बाद की, कोई सोने का नाम नहीं ले रहा पिछले एक हफ्ते से। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं दंगाइयों के दंगे से दहल चुकी उत्तर पूर्वी दिल्ली की, जहाँ पूरी रात-पूरे दिन लोग अपनी-अपनी गलियों में एकत्र हो पहरा देने पर मजबूर हैं। जिनके पास हथियार के रूप में हैं तो सिर्फ और सिर्फ डंडे और कुछ नहीं। उन्हें डर है कि दंगाई किसी भी वक्त कहीं से भी हमला बोल सकते हैं। जी हाँ, कुछ ऐसा ही मंजर दिखा हमें इन दंगों में दहल चुकी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में जब लोग एकत्र हो अपने ही अपनों का पहरा दे रहे थे।
उन्ही दंगों में दहल चुकी दिल्ली का वह मंजर हम लाये हैं अपने कैमरे में कैद कर सिर्फ आपके लिये। सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार कह रही है अब सब ठीक है लेकिन नजारा कुछ और ही बयां कर रहा है। देखिये यह ख़ास रिपोर्ट, जब हम भी निकल लिये रात के अँधेरे में दंगाइयों की दिल्ली को कैद करने अपने कैमरे में, अपने सर पर कफन बांध कर, घरवालों की दुआएं सीने में संजोये।
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