होरी में रह्यौ इतराय, बदलौ लै लूंगी दारी के...!!!

- सज-धजकर हुरियारिनों ने बरसाईं लाठियां, हुरियारों ने उड़ाया अबीर गुलाल

वैन (जगदीश गोकुलिया - मथुरा, उत्तर प्रदेश - 14.03.2022) :: "होरी में रह्यौ इतराय, बदलौ लै लुँगी दारी के...! कान्हा की प्यार की होली की ठिठौली से खीजकर सखियों ने कान्हा स्वरूप हुरियारों पर प्रेम की लाठियां बरसाईं तो हुरियारों ने प्रतिउत्तर में अबीर, गुलाल प्रेम के रंग बरसाकर खूब चिढ़ाया। ब्रज में फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन इस बार 10 मार्च को बरसाना में और 12 मार्च को दशमी तिथि को नंदगांव में लठमार होली मनाई। लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा के समय परम्परागत मनाई जाती है।

मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने होली खेलने पहुंच जाया करते थे। कृष्ण और उनके सखा यहां राधा और उनकी सखियों के साथ ठिठोली किया करते थे, जिस बात से रुष्ट होकर राधा और उनकी सभी सखियां ग्वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। लाठियों के इस वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके दोस्त ढालों और लाठी का प्रयोग करते थे। प्रेम के साथ होली खेलने का यह तरीका धीरे-धीरे परंपरा बन गया।

पहले नंदगांव के ग्वाले फेंटा लगाकर बरसाना की महिलाओं के साथ होली खेलने पहुंचते हैं, वहीं, अगले दिन यानी दशमी पर बरसाने के ग्वाले नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं, यह होली बड़े ही प्यार के साथ बिना किसी को नुकसान पहुंचाए खेली जाती है। इसे देखने के लिए लोग बरसाना और नन्दगाँव पहुंचते है। लोग मानते हैं कि होली के दिन स्वयं कन्‍हैया और राधारानी भी बरसाने के इस रंग में रंगने आते हैं।

यह होली बरसाना और नन्दगाँव के मंदिरों में भी खेली जाती है। इसमें खास बात ये औरतें अपने गांवों के पुरुषों पर लाठियां नहीं बरसातीं हैं। वहीं, बाकी आसपास खड़े लोग बीच-बीच में रंग जरूर उड़ाते हैं। हजारों बरसों से चली आ रही, इस परंपरा के तहत नंदगांव के हुरियारे पिली पोखर पर आते है। जहां उनका स्वागत बरसाना के लोग ठंडाई और भांग से करते है। राधारानी की सखीरूपी हुरियारिनों की प्रेमपगी लाठियों के प्रहार सहने के लिए सिर पर साफा बांधा और ढालों को तैयार किया। इसके बाद टेसू के रंगों और गुलाल से सराबोर हुए उल्लासित हर्षित इन हुरियारों पर सजधजकर आई ग्वालिनों के द्वारा लाठी बरसाईं। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। हंसी ठिठोली, ब्रज की भावभरी गाली, उडते अबीर गुलाल के बीच लाठियों की तडतडाह ने ऐसा दृश्य पैदा किया कि जो इसे देखने वाले अपनी सुधबुध ही खो बैठे। होली का आनंद लेने के लिए देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने लठामार होली का जमकर आंनद लिया। लठामार होली के दिन श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए  थे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्षेत्र को पांच जोन में बांटा गया था और सैक्टर में बांटा गया था। तीस बैरियर और इतनी ही पार्किंग बनाए गए थे। पुलिस बल तैनात किया गया था। जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो। एक कंट्रोलरूम भी बनाया गया था जिससे व्यवस्थाओं को सुचारू रखा जा सके।

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