शक्ति प्रदर्शन कर पहलवान ने विद्यार्थियों को बताए नशे के दुष्प्रभाव

- बच्चों को नशे जैसी बुराईयों से दूर रखना अध्यापकों की भी अहम जिम्मेवारी - पहलवान बिजेंद्र सिंह

- युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखकर ही की जा सकती है नशा मुक्त राष्ट्र की कल्पना - पहलवान बिजेंद्र सिंह

वैन (भिवानी ब्यूरो, हरियाणा - 31.10.2023) :: नशे की गिरफ्त में फंसे युवकों को मुख्यधारा में लाने व समाज को नशा मुक्त बनाने के उद्देश्य अखिल भारतीय युवा जनकल्याण संगठन के अध्यक्ष एवं विश्व रिकॉर्डधारी स्टील मैन पहलवान बिजेंद्र सिंह द्वारा शुरू किए गए 100 शक्ति प्रदर्शनों के अभियान की कड़ी में मंगलवार को जिला के गांव नवां राजगढ़ स्थित विकास हाई स्कूल में 72वां शक्ति प्रदर्शन किया गया। इस दौरान उन्होंने बच्चों को दांतों से झूला झुलाकर, आंखों से 10 किलोग्राम वजन उठाकर, 60 किलोग्राम के बच्चों को दांतों से उठाकर दौड़ लगाकर आदि शक्ति प्रदर्शन किए। इस मौके पर हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यूनिट भिवानी से इंस्पेक्टर विरेंद्र सिंह, एएसआई कुलदीप सिंह, सिपाही रोहतास, जेसीआई इंडिया से विकास अग्रवाल भी मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय प्रधानाचार्य हरिराम स्वामी व सचिव नरेंद्र सिंह ने की। इस मौके पर हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यूनिट भिवानी से इंस्पेक्टर विरेंद्र सिंह ने सभी विद्यार्थियों एवं स्टाफ सदस्यों को नशे के खिलाफ शपथ दिलाकर व नशे के दुष्प्रभाव बताते पंपलेट वितरित कर जागरूक किया तथा नशे से दूर रहकर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति नशा छोडऩा चाहता हो तथा नशा करने वाले की सूचना देना चाहता हो तो टोल फ्री नंबर-9050891508 पर संपर्क कर सकता है, उसकी जानकारी गुप्त रखी जाएगी। इस मौके पर स्टील मैन पहलवान बिजेंद्र सिंह ने कहा कि नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान में विद्यार्थियों की भागीदारी होना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि युवा ही देश का भविष्य है तथा प्रत्येक नागरिक का यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि वो देश में फैली कुरीतियों को दूर करने में अपना सहयोग दे। उन्होंने कहा कि अध्यापक बच्चे के अच्छे व कुशल मार्गदर्शक होते है तथा वे ही बच्चों को उनके भविष्य व विकल्पों के बारे में बताते है तथा बच्चें उनका अनुसरण भी करते है। ऐसे में अध्यापकों की जिम्मेवारी अधिक हो जाती है कि वे बच्चों को नशे सहित अन्य सामाजिक बुराईयों से दूर रखते हुए उन्हे एक सभ्य नागरिक बनाकर समाज व राष्ट्र की तरक्की में योगदान दें, क्योंकि युवा वर्ग को नशे से दूर ही नशा मुक्त राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अध्यापक समय-समय पर बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करें तथा अभिभावकों को भी नशे के दुष्परिणाम बारे बताया जाना आवश्यक है।

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