गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय को सूचना आयोग की चेतावनी

वैन (पंजाब ब्यूरो) :: जगाधरी निवासी डॉ. एस. गर्ग को पता चला कि गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार में लगे ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट अफसर संजय सिंह को हरियाणा सरकार के नियुक्ति पर रोक के आदेश के बावजूद गैर क़ानूनी तरीके से पिछले दरवाजे से यूनिवर्सिटी में नियुक्ति दी गई। संजय सिंह के विरुद्ध छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर क्रमश 150 व 170 छात्रों ने उपकुलपति टन्केश्वर कुमार सचदेवा व राज्यपाल आदि को लिखित शिकायत भी दी थी व यूनिवर्सिटी प्रशासन ने संजय सिंह का गैर क़ानूनी तरीके से तबादला किया था। जिसके चलते संजय सिंह के प्रयासों से पिछले तीन वर्षों में यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए आई कंपनियों व इसके लिए उसके द्वारा ली गई ड्यूटी लीव, भुगतान व उसकी की जगह हरियाणा स्कूल ऑफ़ बिज़नस में लगाये गए व्यक्ति को दी गई तनख्वाह के बारे तथा संजय सिंह के दावे के आधार पर छपी उसकी एक प्रोफेसर द्वारा की गई पिटाई की खबर के चलते उसका स्वास्थ्य प्रमाण पत्र व उसकी चिकित्सा के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए चिकित्सा बिलों के भुगतान की व यूनिवर्सिटी में हुई कुछ अन्य गैर क़ानूनी गतिविधियों की जानकारियां आरटीआई के अंतर्गत मांगी थी। लेकिन यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार सत्यपाल, उपकुलपति कार्यालय, लेखा शाखा व स्थापना शाखा के अधिकारियों ने सूचना देने से इंकार कर दिया। जिस पर लगाई गई अपील पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने सूचना न देने के फैसले को ठीक ठहरा दिया व आवेदक द्वारा हरियाणा सूचना आयोग में अपील दाखिल करने के बाद अपना फैसला सुनाया। जब इस मामले की सुनवाई सूचना आयोग में रेखा बराक, आयुक्त के समक्ष लगी तो यूनिवर्सिटी ने आगे का समय मांग लिया व रेखा के रिटायर होने के उपरांत मामले की सुनवाई के जे सिंह, आयुक्त के समक्ष लगी तो यूनिवर्सिटी ने उनके विरुद्ध शिकायत करके मामला दूसरे सूचना आयुक्त को ट्रान्सफर करवाकर सुनवाई को स्थगित करवा लिया। जब मामले की सुनवाई आयुक्त भूपिंदर धर्मानी के समक्ष तय हुई तो यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार हरभजन बंसल ने फिर से दो माह के लिए सुनवाई टालने का आग्रह भेज डाला। मामले में दिनांक 16.01.2020 को अपीलकर्ता, यूनिवर्सिटी के कानून अधिकारी विकास चौधरी, डिप्टी रजिस्ट्रार सत्यपाल व संजय सिंह के तर्क सुनने के उपरांत आयोग ने यूनिवर्सिटी को आखरी मौका देते हुए मांगी गई सारी सूचना दिनांक 15.02.2020 तक आवेदक को देने के आदेश देते हुए चेताया कि कोताही होने पर दंडात्मक कार्यवाही आरम्भ की जाएगी। साथ ही आरटीआई के पालन के लिए सरकार द्वारा जारी हिदायतों के पालन के निर्देश दिए व यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को सही आदेश ना देने व निर्धारित समय सीमा के बाद आदेश देने का दोषी पाते हुए भविष्य में सही रहने की ताकीद की व विश्वविद्यालय के उपकुलपति को चार हफ़्तों में विश्वविद्यालय में मौजूद आरटीआई से सम्बंधित सारा रिकॉर्ड वेबसाइट पर जनता के अवलोकन के लिए डालने के आदेश दिए।

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