अमित शाह नहीं होंगे अंतर्राष्ट्रीय गीता जयन्ती महोत्सव में शामिल, पांच राज्यों में जड़ से खत्म होने का मंथन करने में जुटी बीजेपी

वैन (हेमन्त कुमार शर्मा - कुरुक्षेत्र) :: राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय बना गीता जयन्ती महोत्सव का पांडाल आज उस समय खुद पर थोड़ा विचार करने की कोशिश करेगा जब सभी तैयारियां पूर्ण होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह आज उसके शुरूआती कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे।
कल तक पूरे लाव-लश्कर के साथ तैयारियों में जुटी हरियाणा पुलिस सहित सुरक्षा की सभी टुकड़ियां आज अमृतवेले से थोड़ी सुस्त दिखाई दे रही हैं क्योंकि शायद उनको पहले ही खुशबु आ चुकी थी कि बादशाह अमित शाह आज कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर नहीं आयेंगे। हालांकि सुरक्षा अभी भी चाक-चौबंद होगी क्योंकि उनके ना आने पर हो सकता है राजनितिक अमला थोड़ा और बड़ा रूप ले, लेकिन पहले से हामी भर चुके मॉरिशस के राष्ट्रपति सहित कई अन्य राज्यों के राजयपालों के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री तो यहाँ शिरकत करने पहुंचेंगे ही।
अमित शाह अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में नहीं होंगे शामिल यह बात कल शाम ढलते ही लगभग चर्चा में थी लेकिन प्रशासन ने अपनी तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी, शायद डर इस बात का था कि जनता में क्या सन्देश जायेगा?
खैर, सुबह होते-होते शाम के चाय की चर्चा की सुगबुगाहट अपना असली रंग दिखाने को तैयार थी और सूर्य की किरणों के विस्तार होते ही यह खबर भी आम हो चुकी थी कि केंद्र सरकार के मुखिया आज होने वाले कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे। शासन-प्रशासन इस बात पर चुप्पी साधे हुए है और केंद्र से भी किसी खबर के आसार नहीं हैं क्योंकि कहते हैं ना कि "बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी"...??? आखिर बकरा कट ही गया।
इन सबके पीछे बहाना दिया गया है कि अति-व्यस्त कार्यक्रमों के चलते अमित शाह कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे लेकिन पर्दे के पीछे का कारण कुछ और ही है। व्यस्तता तो चुनावों से पहले थी जनाब जब आप पूरे जोर-शोर से चुनाव-प्रचार में जुटे थे और आज का कार्यक्रम तो राम और कृष्ण से सम्बंधित था, आज आप उससे भी कन्नी काट गये? लगता है बच्चा माँ-बाप से बढ़िया वाला नाराज हो गया कि उन्होंने उसकी पांच राज्यों की सत्ता तो छीनी ही साथ ही भरी महफ़िल में मुँह दिखाने लायक भी नहीं छोड़ा।
"अब पछताए क्या होत, जब चिड़िया चुग गयी खेत", यह चर्चा तो बाजार में पहले से ही थी कि चुनावों में कुछ उल्टा होने वाला है लेकिन सत्ताधारियों को उससे कोई लेना-देना नहीं था। उनको लगता था कि यह सब चर्चा ही है, असलियत कुछ और होगी, लेकिन नहीं।
आज के कार्यक्रम से अमित शाह का मुख मोड़ लेना साफ़ संकेत देता है कि मंथन होगा और वो भी उस श्रेणी का जिसकी आपने और हमने कल्पना भी नहीं की होगी।

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