ट्रैक्टर रैली के बाद 100 से ज्यादा किसान लापता; हिरासत में लिए गए लोगों का ब्यौरा नहीं दे रही पुलिस - सयुंक्त किसान मोर्चा

- किसान मोर्चा ने सरकार पर लाया लगाया आंदोलन में गड़बड़ी फैलाने का आरोप

- धरनों पर सप्लाई बाधित करने का घटिया काम कर रही सरकार - सयुंक्त किसान मोर्चा

वैन (हरियाणा ब्यूरो) :: सयुंक्त किसान मोर्चा ने गणतंत्र दिवस की परेड के बाद सौ से अधिक व्यक्तियों के लापता होने की सूचना के बारे में गहरी चिंता जताई है। अब ऐसे लापता व्यक्तियों के बारे में जानकारी संकलित करने की कोशिश की जा रही है, जिसके बाद अधिकारियों के साथ औपचारिक कार्रवाई की जाएगी। इसके बाबत एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमे प्रेम सिंह भंगू, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, अवतार सिंह, किरणजीत सिंह सेखों व बलजीत सिंह शामिल है। लापता व्यक्ति के बारे में कोई भी जानकारी 8198022033 पर लापता व्यक्ति का पूरा नाम, पूरा पता, फोन नंबर और घर का कोई अन्य संपर्क और कब से गायब है, साझा किया जाएं। यह बात तब निकल कर सामने आई जब आज 01 फरवरी को किसान आंदोलन का 69 वां दिन है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने मनदीप पुनिया और अन्य जैसे पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा की। झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की आड़ में अपनी वास्तविक साजिश को दबाने और किसानों में डर पैदा करने के प्रयासों को किसानों ने अपनी बढ़ती ताकत से जवाब दिया।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने विभिन्न विरोध स्थलों की इंटरनेट सेवाओं को काटने के लिए किसानों के आंदोलन पर सरकार के हमले की भी निंदा की। सरकार नहीं चाहती कि वास्तविक तथ्य किसानों और सामान्य जनता तक पहुँचें, न ही उनका शांतिपूर्ण आचरण दुनिया तक पहुँचे। सरकार किसानों के चारों ओर अपना झूठ फैलाना चाहती है। यह विभिन्न धरना स्थलों पर किसान यूनियनों के समन्वित कार्य से भी डरती है और उनके बीच संचार साधनों में कटौती करने की कोशिश कर रही है। यह अलोकतांत्रिक और अवैध है।

मोर्चा के नेताओ ने सिंधु बॉर्डर व अन्य धरना स्थलों तक पहुंचने से आम लोगों और मीडिया कर्मियों को रोकने के लिए लंबी दूरी से विरोध स्थलों की घेराबंदी पर सवाल उठाया। भोजन और पानी जैसी बुनियादी आपूर्ति को भी बाधित किया जा रहा है। सरकार के इन सभी हमलों की हम निंदा करते है।

पुलिस और सरकार द्वारा हिंसा के कई प्रयासों के बावजूद, किसान अभी भी तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर बहस कर रहे हैं। हम सभी जागरूक नागरिकों को स्पष्ट करना चाहते हैं कि दिल्ली मोर्चा सुरक्षित और शांतिपूर्ण है।

बड़े ही खेद के साथ महाराष्ट्र के एक और प्रदर्शनकारी की मौत की दुखद खबर को साझा कर रहे है, जिन्होंने शाहजहाँपुर संघर्ष में भाग लिया। शायरा पवार सिर्फ 21 साल की थीं। उनके बलिदान को याद रखा जाएगा और व्यर्थ नहीं जाएगा।

कल घोषित किए गए सद्भावना दिवस को देश भर में और मध्य प्रदेश में रीवा, मंदसौर, इंदौर, ग्वालियर, झाबुआ और अन्य स्थानों पर व्यापक रूप से समर्थन मिला। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक गणों और शोधार्थियों ने भी किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास रखा।

राजस्थान और हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान शाहजहाँपुर मोर्चे पर पहुँच रहे हैं। मोर्चा दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों के नए समूह सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर भी पहुंच गए हैं, जबकि गाजीपुर विरोध स्थल भी प्रतिदिन मजबूत हो रहा है।

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