कोरोना वायरस आपकी होली में भी डाल सकता है खलल

वैन (खेल डेस्क - भिवानी ब्यूरो) :: रंगों का पर्व होली का खुमार छोटी काशी में लोगों पर चढ़ना शुरू हो गया है। बाजारों में रंग-गुलाल व पिचकारियों की दुकानें भी सजनी शुरु हो गई हैं। मिष्ठान भण्डारों पर होली का विशेष व्यंजन गुंजिया ने भी अपनी खुशबू बिखेरनी शुरु कर दी है। शहर के मुख्य हांसी बाजार सहित एक दर्जन से अधिक बाजरों में भी होली पर्व की चहल-पहल शुरु हो चुकी है। रंगों व पिचकारियों की दुकानें सजनी शुरु हो गई हैं। इस पर्व को सभी समुदाय के लोग मिल-जुलकर मनाते हैं और आपसी भाईचारे का परिचय भी देते हैं। रंगेों का यह पर्व आगामी 9 मार्च को होलिका तो 10 मार्च को धुलेंंडी में रंग खेलकर मनाया जाएगा। रंगों के इस पर्व को मनाने का उद्देश्य होता है कि जीवन भी रंगों से भर जाए। होली का यह पर्व भारत में नहीं, अपितु पडौसी देश नेपाल में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

चाईनिज सामान पर महंगाई की मार

कोरोना वायरस के चलते इस बार चीन से होली का सामान नहीं आ रहा। रंग, गुलाल व पिचकारियों के रेट भी पहले की तुलना में अबकी बार ज्यादा है। स्थानीय व्यापारी रामनिवास ने बताया कि चीन इन दिनों भयंकर कोरोना वायरस की चपेट में है ,जिसके चलते वहां पर हजारों की संख्या में लोग इस बीमारी का शिकार होकर मर चुके हैं। इसी के चलते अबकी बार चाईनीज रंग-गुलाल व पिचकारियां कम या नहीं आ रही है। उन पर भी महंगाई की मार है। दो दिन मनाया जाने वाला पर्व है होली पंडित हनुमान प्रसाद ओजस्वी का कहना है कि यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से 2 दिन मनाया जाता है। लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल आदि फैंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाए जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं।

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