कानून बनाने के साथ ही ‘लव जिहाद’की चर्चा घर-घर होनी चाहिए ! - अधिवक्ता मणि मित्तल, सर्वाेच्च न्यायालय

'लव जिहाद’ नियोजनबद्ध षड्यंत्र है । इसके लिए भारी मात्रा में धर्मांधों को पैसों की आपूर्ति की जाती है । लव जिहादियों को बचाने के लिए कानूनी सहायता की जाती है । धर्मांतरण के लिए हिन्दू युवतियों को ‘लव जिहाद’के जाल में फंसा कर उनकी हत्या हो रही है । कानून की अपनी मर्यादा होने से वह लोगों की रक्षा करने में असफल रहा है । आज हिन्दू माता-पिता एवं युवतियों में जागृति न होने से अनेक हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढ रही हैं । उन्हें सहजता से लक्ष्य बनाया जा रहा है । इसलिए ‘लव जिहाद’ की घटना रोकने के लिए केंद्र सरकार को कडा कानून बनाना चाहिए, ऐसी मांग करते हुए ‘लव जिहाद’ पर घर-घर चर्चा होना भी अत्यंत आवश्यक है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता मणी मित्तल ने व्यक्त किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘साक्षी, श्रद्धा...कब तक ‘लव जिहाद’ में हत्या होती रहेंगी ?’ इस विषय पर ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’ में बोल रही थीं ।

इस अवसर पर झारखंड के ‘पाञ्चजन्य’ के पत्रकार श्री. रितेश कश्यप बोले, ‘सेक्युलर, साम्यवादी आदि सभी दावा करते हैं कि ‘लव जिहाद’ द्वारा मुसलमानों के विरोध में प्रचार किया जाता है; परंतु वास्तव में भारत भर में ‘लव जिहाद’की घटनाएं हो रही हैं । बांगलादेश सीमा से लगे झारखंड में बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठ सहित लगभग सभी अपराधों में संलिप्त पाए जाते हैं । झारखंड में स्थानीय धर्माधों के साथ-साथ कट्टर बांगलादेशी एवं रोहिंग्या मुसलमान भी हिन्दू युवतियों को ‘लव जिहाद’ के जाल में खींच रहे हैं । सरकार को ‘लव जिहाद’ को भीषण संकट मानकर, अन्य अपराधों समान इसकी भी समीक्षा कर उसकी संख्या सार्वजनिक करनी चाहिए ।

हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. नागेश जोशी ने कहा, ‘‘हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने मान्य किया कि महाराष्ट्र में सैकडों युवतियां लापता हैं, ‘लव जिहाद’ की घटनाएं भी हो रही हैं; ऐसे में इस पर पुलिस-प्रशासन द्वारा कठोर कार्रवाई होनी अपेक्षित है । आज लव जिहादियों को अपराधी होते हुए भी समर्थन मिलता है । इसके साथ ही कठोर दंड न मिलने से लव जिहादियों को किसी का भय नहीं रह गया । ‘लव जिहाद’ की घटना में अपराधियों को फांसी का दंड मिले, ऐसा कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाना अपेक्षित है । इन घटनाओं का निर्णय भी यथाशीघ्र हो, इसलिए शीघ्र गति न्यायालय होने चाहिए ।

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