वैन (दिल्ली ब्यूरो - 17.10.2025) :: प्रस्तावना: दिवाली का पावन पर्व केवल दीयों और खुशियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इस दिवाली, एक नए प्रकार के आर्थिक और सांस्कृतिक आक्रमण के विरुद्ध जागरूक होने का समय आ गया है। भारत में ‘FSSAI’ और ‘FDA’ जैसी आधिकारिक सरकारी संस्थाओं के होते हुए भी, कुछ निजी इस्लामी संगठन ‘हलाल प्रमाणीकरण’ को अनिवार्य कर एक समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहे हैं। यह ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ केवल एक व्यावसायिक मामला नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के लिए एक सीधी चुनौती है।
क्या है ‘हलाल’ का छिपा हुआ षड्यंत्र?: मूल रूप से मांस तक सीमित ‘हलाल’ की अवधारणा अब शाकाहारी खाद्य पदार्थों, मिठाइयों, चॉकलेट्स, सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं, अस्पतालों और यहाँ तक कि हाउसिंग परियोजनाओं तक पहुँच गई है। इस प्रमाणीकरण के लिए उद्यमियों को प्रत्येक उत्पाद के लिए शुरुआत में 21,500 रुपये और वार्षिक नवीनीकरण के लिए 15,000 रुपये देने पड़ते हैं।
अकेले भारत में खाद्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, दवाएं और अन्य दैनिक जरूरत की वस्तुएं बनाने वाली लगभग ४०० कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट लिया है। करीब 3,200 प्रकार के उत्पादों को यह सर्टिफिकेशन मिला है। फाइव-स्टार होटलों से लेकर रेस्तरां तक, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए कतारें लगी हुई हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले होटलों और रेस्तरां की संख्या लगभग 1,400 है।
एड्राइट रिसर्च और हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, वैश्विक बाजार में हलाल उत्पादों की हिस्सेदारी लगभग 19% है। यह बाजार लगभग सात ट्रिलियन डॉलर यानी साढ़े सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। इसमें भारतीय कंपनियों और होटलों का हिस्सा लगभग 80,000 करोड़ रुपये है। इस प्रक्रिया से जमा हुए करोड़ों रुपये का उपयोग कहाँ होता है, इस पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है।
राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर संकट : सबसे चिंताजनक बात यह है कि ‘हलाल प्रमाणीकरण’ से प्राप्त धन का उपयोग देश-विरोधी गतिविधियों के लिए किए जाने का आरोप है। ‘जमियत-उलेमा-ए-हिंद’ जैसा ‘हलाल प्रमाणीकरण’ करने वाला संगठन मुंबई के ‘7/11’ ट्रेन बम विस्फोट, ‘26/11’ मुंबई आतंकी हमले और पुणे की जर्मन बेकरी विस्फोट जैसे गंभीर आतंकवादी मामलों के 700 आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है। शिकायतों में यह प्रबल आशंका व्यक्त की गई है कि ‘हलाल’ के नाम पर एकत्र किया गया पैसा देश-विरोधी ताकतों को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती बन गई है।
उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन और ‘अल्पसंख्यक तानाशाही’: हाल ही में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ में श्रावण मास के दौरान एक यात्री को ‘हलाल सर्टिफाइड’ चाय परोसने का मामला सामने आया था। यह उदाहरण दिखाता है कि यह व्यवस्था कैसे बहुसंख्यक समाज पर थोपी जा रही है। भारत की केवल 15% मुस्लिम आबादी के लिए आवश्यक ‘हलाल’ व्यवस्था को शेष 85% हिंदू, सिख, जैन और अन्य गैर-मुस्लिम जनता पर थोपना, उनके संवैधानिक और उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। हल्दीराम, हिमालया, नेस्ले जैसी कई कंपनियाँ अपने शाकाहारी उत्पाद भी ‘हलाल सर्टिफाइड’ के रूप में बेच रही हैं। यह ‘हलाल’ की बाध्यता क्यों? क्या भारत में हिंदुओं को खाने या खरीदने की संवैधानिक स्वतंत्रता नहीं है? प्रसिद्ध विचारक नसीम निकोलस तालेब ने इस प्रवृत्ति को ‘अल्पसंख्यक तानाशाही’ (Minority Dictatorship) कहा है, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए अत्यंत खतरनाक है।
‘हलाल मुक्त दिवाली’ अभियान में कैसे सहभागी बनें?: इस राष्ट्रीय लड़ाई में प्रत्येक नागरिक का योगदान अमूल्य है। आप निम्नलिखित तरीकों से अपनी भूमिका निभा सकते हैं ! खरीदारी करते समय, उत्पाद की पैकेजिंग पर ‘हलाल’ लोगो की जाँच करें। ‘हलाल प्रमाणित’ उत्पादों को अस्वीकार करें और FSSAI, ISI जैसे भारतीय मानकों द्वारा प्रमाणित वस्तुओं को प्राथमिकता दें। ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से कंपनियों से पूछें की “एक धर्मनिरपेक्ष देश में, जब सरकारी प्रमाणीकरण मौजूद है, तो आपको निजी धार्मिक प्रमाणीकरण की आवश्यकता क्यों है?” अपने क्षेत्र के दुकानदारों को इस आर्थिक षड्यंत्र के बारे में सूचित करें और उन्हें ‘हलाल मुक्त’ उत्पाद बेचने के लिए प्रोत्साहित करें। इस लेख के मुद्दों को व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर #HalalMuktDiwali हैशटैग के साथ साझा करके व्यापक जागरूकता पैदा करें। Hindujagruti.org वेबसाइट पर जाकर ‘हलाल’ के खिलाफ राष्ट्रीय ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान में भाग लें। नीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर ‘हलाल प्रमाणीकरण’ पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग करें।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने ‘हलाल’ प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लगाकर एक साहसिक कदम उठाया है। इसी को आदर्श मानकर केंद्र सरकार को पूरे देश में इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। आइए, इस दिवाली ‘हमारा उत्सव, हमारी खरीद, हमारे लोग’ का संकल्प लें और राष्ट्र-विरोधी ‘हलाल’ अर्थव्यवस्था के जाल को तोड़कर एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाएं। हमारा लक्ष्य अब केवल ‘हलाल-मुक्त’ दिवाली नहीं, बल्कि ‘हलाल-मुक्त’ भारत होना चाहिए।
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