वैन (पटना - बिहार ब्यूरो) :: भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कई बार ऐसा होता है ये दोनों संयोग एक साथ नहीं बन पाते। इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं। अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी. बुधवार 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक यह तिथि रहेगी। अब यह बिल्कुल साफ हो चुका है कि सामान्य जन यानी गृहस्थ लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। जबकि वैष्णव, संन्यासी या बैरागी 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। 11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू होगी. अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी। यह तिथि बुधवार, 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी. वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया गया है। बुधवार रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक बाल-गोपाल की पूजा-अर्चना की जा सकती है। जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था। इसलिए इसी नक्षत्र और तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
On Wed, May 7, 2025