वैन (नीरज परिहार - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: आगरा जनपद के ब्लॉक जैतपुर के बड़ा गांव में गांव के सर्व समाज के लोगों द्वारा एक मिसाल पेश की गई है जिसमें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए गांव की परास्नातक बेटी को ग्राम प्रधान बनाने का फैसला लिया गया है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको बता दें कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार देश में महिलाओं और बेटियों को मजबूत करने के लिएमहिला सशक्तिकरण अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर रही है।तो तो वहीं सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं महिला सशक्तिकरण अभियान को अब ग्रामीण भी पूरी तरह समझ कर बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसी ही मिसाल आगरा जनपद के ब्लाक जैतपुर क्षेत्र के अंतर्गत बड़ा गांव में देखने को मिली है। जहां गांव के कई ग्रामीण पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे थे 1 साल से पांच उम्मीदवार लगातार ग्राम प्रधानी की तैयारी में लगे ग्रामीणों का फैसला चौंकाने वाला आया। रविवार को गांव के हनुमान मंदिर पर ग्राम प्रधान के चुनाव के लिए एक पंचायत ग्रामीणों की आयोजित की गई जिसमें दर्जनों की संख्या में ग्राम पंचायत के सर्व समाज के ग्रामीण एकत्रित हुए। पंचायत में सर्व समाज की सम्मति से गांव के ही किसान किलेदार की बेटी सरला सिंह गुर्जर को निर्विरोध ग्राम प्रधान बनाने एवं चुनावी मैदान से हटने का फैसला लिया गया है। जिससे गांव की पढ़ी-लिखी बेटी ग्राम प्रधान बने जिस पर सभी ने रजामंदी जताई और गांव की तरक्की के लिए फैसला दिया। ग्रामीणों के फैसले की चर्चा बाह, पिनाहट, जैतपुर क्षेत्र में लगातार हो रही है। बेटी के फैसले से ग्रामीण हुए प्रभावित बड़ा गांव में ग्राम पंचायत प्रधान की तैयारी कर रही गांव की परास्नातक एवं पत्रकारिता की पढ़ाई कर प्रशासनिक अधिकारी बनने की तैयारी कर रही बेटी सरला सिंह गुर्जर ने ग्रामीणों को गांव के विकास के लिए प्रेरित किया और अपने तैयार रोड मैप के बारे में बताया। कि वह अपनी ग्राम पंचायत की स्थिति को कैसे सुधरेगी और किस तरीके से इस गांव को विकास की ओर ले जाया जाएगा। महिलाओं को खुले में शौच से किस तरीके से मुक्ति मिलेगी बुजुर्ग एवं विधवाओं को पेंशन नहीं मिल पा रही है जिसके लिए वह कार्य करेंगी। बेटी की बातों को सुनकर सभी लोग प्रभावित हुए और अपना समर्थन दिया।वही बड़ा गांव में निवर्तमान प्रधान प्रहलाद सिंह गुर्जर, भुल्ले गुर्जर, राजकुमार, सियाराम, गीता, एवं सरला गुर्जर प्रधान पद के लिए दावेदार थे जहां सर्वसम्मति से सरला गुर्जर को गांव के विकास के लिए निर्विरोध चुनने और चुनावी मैदान से हटने का फैसला लिया गया है।
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