निजीकरण को लेकर पर्यटन कर्मियों में रोष; आगामी राज्यस्तरीय बैठक में होगी आंदोलन की घोषणा

- पिछले 3 महीने से पर्यटन कर्मियों की तनख्वाह न देने पर जताया रोष

- भाजपा सरकार ने हरियाणा पर्यटन केंद्रों को लीज पर देने का निदेशक मंडल की बैठक में प्रस्ताव पास

- पर्यटन विभाग के कर्मियों में पर्यटन केंद्रों को लीज पर देने के खिलाफ है जबरदस्त आक्रोश

- कोरोना की आड़ में सरकार पर्यटन केंद्रों में घाटा दिखा कर कर रही है निजीकरण का प्रयास

वैन (रोहतक - हरियाणा ब्यूरो) :: हरियाणा सरकार जहा प्रदेश के तमाम पर्यटन केंद्रों को लीज पर देने का विचार कर रही है, वहीं इसके विरोध में पर्यटन केंद्रों पर लगे कर्मचारियों में काफी रोष है। उनका कहना है कि अगर सरकार ऐसा करती है तो उनके परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।

प्रदेश सरकार के पर्यटन केंद्रों के निजीकरण का विरोध अब खुलकर पर्यटन के कर्मचारी सरकार के विरोध में आ गए है। उनका कहना है कि सरकार के नुमाइंदों से निजीकरण ना करने बारे कई बार बातचीत की गई और हर बार आश्वासन दिया गया गया कि निजीकरण नहीं किया जाएगा लेकिन सरकार कर्मचारियों को केवल झूठा आश्वासन दे रही है।

रोहतक के अंदर हरियाणा टूरिज्म कर्मचारी संघ के बैनर के नीचे पर्यटन से जुड़े कर्मचारी एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनका साफ तौर पर कहना है कि कोरोना की आड़ में सरकार जो पर्यटन केंद्रों में घाटा दिखा कर उनका निजीकरण कर रही है, उसका हरियाणा टूरिज्म के कर्मचारी कड़ा विरोध करेंगे। राज्य प्रधान मित्रपाल राणा ने खुलासा किया है कि सरकार की तरफ से पर्यटन केंद्रों को लीज पर देने का प्रस्ताव गत 13 अगस्त को निदेशक मंडल की बैठक में पास कर दिया गया है, जिसका कर्मचारी जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके संगठन ने निजीकरण को रोकने हेतु अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे परन्तु उन्हें सरकार ने दरकिनार कर निजी हाथों में सौंपने का निर्णय किया है।

उनका कहना है कि अगर सरकार पर्यटन केंद्रों को निजी हाथों में सौंप देती है तो आगामी 27 अगस्त को करनाल में राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी जाएगी। अगर फिर भी सरकार कर्मचारियों की अनदेखी करती है तो कर्मचारी हड़ताल करने पर मजबूर होंगे।

हरियाणा टूरिज्म कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान मित्रपाल राणा ने इस संवाददाता से बात करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान ही पर्यटन केंद्रों में मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ व नर्सों को मुफ्त में रहने और खाने की सेवा देने वाले कर्मचारियों को कोरोना फण्ड जो कर्मचारियों के वेतन भत्तों व आम जनता से करोड़ों रुपए एकत्रित होते हैं, वह फंड पर्यटन निगम को नहीं दिया जा रहा है। यही कारण है कि पर्यटन केंद्र लगातार घाटे में चल रहे हैं।

उनका कहना है कि अभी तक उन्हें पिछले 3 महीने से उनकी तनख्वाह भी नहीं मिली है। इसके अलावा पर्यटन केंद्रों में सप्लायर जो माल सप्लाई करते हैं, उनके भी पैसे अदा नहीं दिए गए हैं। हरियाणा सरकार पर्यटन के कर्मचारियों को वेतन देने की बजाए सरकार लगातार गुमराह कर रही है। इस मौके पर कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में हरियाणा टूरिज्म कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान मित्रपाल राणा के नेतृत्व में पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय लघु सचिवालय में जाकर अपनी मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन नायब तहसीलदार सतीश खर्ब को सौंपा।

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