- सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हॉस्पिटल सीज करने के दिये थे अंतरिम आदेश - के.जी.एम.सी. मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के अनुसार महिला की मौत संक्रमित ब्लड से हुई - बी.ए.एम.एस. डॉक्टरों के द्वारा धड़ल्ले से चल रहा एलोपैथिक इलाज - सीएमओ हरदोई कैमरे के सामने बोले मामला संज्ञान में नहीं; जान कर भी बन रहे अनजान वैन (अंबुज मिश्रा - हरदोई, उत्तर प्रदेश) :: उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ लाख दावे और वादे कर लें कि उनका स्वास्थ्य महकमा पूरी तरीके से स्वस्थ है लेकिन आज हम स्वास्थ्य महकमे के एक ऐसे कारनामे को आपको दिखाएंगे जिसको देखकर सुनकर आप भी दांतों तले अंगुली दबा ले जाएंगे मामला उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के बालाजी हॉस्पिटल का है जहां पर बी ए एम एस डॉक्टरों के द्वारा एलोपैथिक का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है जिसके चलते हॉस्पिटल में भर्ती रागिनी गुप्ता को लैटिनस पूर्ण होने के बावजूद भी ब्लड चढ़ाया जाता है यह ब्लड हरदोई जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक से लाया जाता है रागिनी गुप्ता कि जब हालत काफी बिगड़ती है तो बालाजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों के द्वारा उसे केजीएमसी हॉस्पिटल लखनऊ रेफर कर दिया जाता है जहां पर उसके स्थित बेहद नाजुक देखते हुए डॉक्टरों से कोमा में जाने का हवाला उनके परिजनों को दे देते हैं लेकिन अफसोस कुछ दिन बाद रागिनी गुप्ता की मौत हो जाती है जिसके बाद केजीएमसी के सीनियर डॉक्टरों के द्वारा एक रिपोर्ट दी जाती है कि किन कारणों से रागिनी गुप्ता की मौत होती है केजीएमसी के डॉक्टरों के अनुसार रागिनी गुप्ता की मौत ब्लड पूर्णता होने के बावजूद भी ब्लड चढ़ाने व संक्रमित ब्लड के कारण रागिनी गुप्ता की मौत का कारण बताया जाता है। जिसके बाद मृतिका के पति गोपाल चंद गुप्ता न्याय की गुहार लगाते लगाते हरदोई के जिला प्रशासन से लेकर राजधानी स्तर पर बैठे शासन और प्रशासन एक अधिकारियों के पास पहुंचना शुरू कर देते हैं अफसोस जब शासन और प्रशासन की तरफ से न्याय नहीं मिलता है तो मृतिका के पति गोपाल चंद्र गुप्ता कोर्ट का दरवाजा खटखटाना ही उचित समझते हैं कोर्ट के दरवाजे खटखटाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार माननीय न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस प्रकार के डॉक्टरों के ऊपर कठोरतम कार्रवाई का हवाला देते हुए अवैध हॉस्पिटल को अंतरिम आदेश के अनुसार तत्काल प्रभाव से सीज करने का आदेश दिया था। लेकिन हरदोई में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के खाऊं नीति के अनुसार बालाजी हॉस्पिटल अभी भी धड़ल्ले से चल रहा है उसके बाद पीड़ित गोपाल चंद्र गुप्ता पुनः कोर्ट का दरवाजा खटखटा ते हैं तो कोर्ट की तरफ से एक सम्मान ब्लड बैंक कर्मचारी सीमेंस और सीएमओ के साथ-साथ बालाजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों के लिए भेजा जाता है लेकिन यहां डॉक्टरों की मनमानी तो देखिए यह तो कोर्ट के बुलावे को भी मानने के लिए तैयार नहीं हुए लिहाजा कुर्सी पर पूरा दिन बैठने के बावजूद भी इन्होंने कोर्ट भी जाना उचित ना समझा। अब सवाल यह उठता है कि हरदोई में झोलाछाप डॉक्टरों की जो भरमार चल रही है इन पर उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ कोई कमान करेंगे या मौत वाटते हॉस्पिटलों के हौसले यूं ही बढ़ते चले जाएंगे। क्या हरदोई में मौत बांटते हॉस्पिटलों पर कोई कार्रवाई होगी? क्या हरदोई में यूं ही बी ए एम एस डॉक्टरों के द्वारा एलोपैथिक का इलाज करने का सिलसिला जारी रहेगा? क्या हरदोई में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी अवैध हॉस्पिटलों व झोला छाप डॉक्टरों के द्वारा जो दुकानें चलती हैं उनका कोई इलाज करेंगे या वही औरों का फालतू इलाज जिंदगीभर ऐसे ही करते रहेंगे?
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