गुरसहायगंज कोतवाली में तैनात दारोगा ने दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपित का नाम निकालने के लिए एक लाख रुपये की मांग की थी। इसमें पीड़ित मुदस्सिर के पिता ने गरीबी का हवाला देकर 50 हजार रुपये देने की बात कही। इससे पहले पीड़ित शकील भष्ट्राचार निवारण संगठन कानपुर के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार तिवारी से शिकायत की। इसमें निरीक्षक शंभूनाथ तिवारी को कमान सौंपी। उन्होंने दारोगा को रंगे हाथ पकड़ने के लिए एक टीम गठित की। टीम ने दोपहर में पहुंचकर पीड़ित शकील से संपर्क साधा। साथ ही उन्हें सारी रूप रेखा बताई। उन्हें केमिकल लगाकर नोट दिए। पीड़ित ने दारोगा से निकलने के लिए समय मांगा। टीम ने बताया कि दारोगा ने मिलने के लिए पीड़ित को पांच जगह भिन्न-भिन्न स्थानों पर दौड़ाया। आखिर में दारोगा ने उन्हें गुरसहायगंज तिराहे पर मिलने की बात कही। रुपये देते समय टीम ने आकर दरोगा को रंगे हाथ पकड़ लिया। v/o- भ्रष्टाचार निवारण संगठन के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार तिवारी ने निरीक्षक शंभूनाथ तिवारी के अलावा,महिला निरीक्षक मनीषा भदौरिया, कांस्टेबल राकेश, अभिषेक, मधु यादव व चालक लक्ष्मण को भेजा। टीम ने दोपहर में डाल लिया था डेरा दोपहर में टीम ने आकर सीधे जिलाधिकारी रवींद्र कुमार से वार्ता की। डीएम ने टीम को दो गवाह के रूप में चकबंदी अधिकारी विपिन प्रकाश श्रीवास्तव व मनोरंजन अधिकारी जगदीश वर्मा को उनके साथ भेजा। टीम ने गुरसहायगंज पहुंचकर आरोपित दारोगा को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। दहेज उत्पीड़न में इनके खिलाफ लिखवाई गई थी रिपोर्ट पीड़िता अर्शी बेगम ने ससुरालीजनों द्वारा निकाले जाने के बाद पति मुदस्सिर, ससुर शकील, सास सूफिया, जेठ मुरसिद व ननद रुबीना के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व पति पर गलत व जबर्दस्ती संबंध बनाए जाने की रिपोर्ट लिखवाई थी।
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