वैन (हेमन्त कुमार शर्मा - दिल्ली) :: "आह से आहत तक"; सब किया कराया आज आपके और हमारे सामने है। क़ानून को पढ़ाने वाले और उसका पालन करने वाले आमने-सामने हैं और बेचारी जनता तमाशा देख रही है। बीते शनिवार को दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने वकीलों के खिलाफ जो हरकत की उसका हर्जाना आज हर देशवासी भुगत रहा है। गलती किसकी थी और किसकी नहीं उस चक्कर में चिंगारी ने आग का रूप ले लिया और आज वह शोले में तब्दील हो गई। 2 नवम्बर के बाद जब आज सोमवार को कोर्ट फिर से खुली तो वकीलों द्वारा किया जाने वाले सारा कामकाज ठप्प था - जिसको हड़ताल कहते हैं। दिल्ली पुलिस का सिपाही हो चाहे कोई अधिकारी या उनकी गाड़ियां कोई भी किसी कोर्ट परिसर में तो क्या उसके आसपास भी दिखाई नहीं दे रहा था। मानो कानून आज अपनी पैरवी खुद कर रहा हो। अब दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में चेयरमैन महावीर शर्मा और कोआर्डिनेशन कमेटी के सेक्रेटरी धीर सिंह कसाना के अनुसार जो-जो वकील शनिवार को पुलिसिया शर्मनाक हरकत के शिकार हुए हैं वह अपने सम्बंधित थानों में उस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही उन्होंने अपने सभी साथियों को आश्वासित भी किया की किसी भी अथॉरिटी के द्वारा किसी भी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी। संभवतः कल यानि 5 नवम्बर से कोर्ट परिसर में किसी पुलिस वाले और उनकी गाड़ियों के प्रवेश को भी वकीलों द्वारा बाधित किया जायेगा, जब तक दोषी अधिकारीयों और सम्बंधित कर्मचारियों पर पूर्ण कार्रवाई नहीं होती। अंधे कानून का पलड़ा अब किस और झुकेगा? कानून पढ़ाने वालों की तरफ या फिर उसका पालन करने वालों की तरफ, यह भी अंधकार में है।
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