गुलाम कयूम की धरती पर जनकपुरी का नजारा - जानकर दंग रह जाएंगे ये दास्तां

वैन (अरविन्द शर्मा - कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश) :: कहीं लोग मजहब को लेकर आपस मे बैर किये बैठे हैं तो कहीं अपने पराए के चक्कर में झगड़ा फसाद में पड़ जाते हैं। आपको बता दें एक ऐसा मुस्लिमों का गांव भी है जहां की धरती पर आज महायज्ञ जैसे बड़े कार्यक्रम आयोजित होते हैं और लोग बड़ी संख्या में शरीक होकर कार्यक्रम में सहभागिता करते हैं। हम बात कर रहे हैं कानपुर देहात के झींझक क्षेत्र के बड़ा गांव गुलाम कयूम की। गांव का नाम एक मुस्लिम भाई के नाम पर पड़ा था। यहां लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का विशाल आयोजन चल रहा है। श्रीराम कथा में सीता जन्मोत्सव के दौरान 1100 दीपों को जलाया गया, जिसकी भव्य छटा से समूचा गांव जगमगा उठा। मानो जनकपुरी वासी माता सीता का जन्मोत्सव धूमधाम से मना रहे हों। इसके पूर्व भव्य झांकी गांव से लेकर झींझक नगर तक निकाली गई।

1100 प्रज्वलित दीपों से सजाया सीता जन्मोत्सव

सैकड़ो महिला व पुरुष भक्तों ने 1100 प्रज्वलित दीपों से सीता जन्मोत्सव की कतार तैयार की और दीप प्रज्वलित होने के बाद महिलाओं ने मंगलगीत गाते हुये जनक नंदनी जन्म दिवस मनाया। एक एक करके दीपो की माला संजोते हुए मां जगत जननी के नाम को रोशनी से जगमगा दिया। इसके बाद उनके जन्म की खुशी में पुष्प वर्षा करके पूरा गांव जयकारों से गूंज उठा। देर रात तक इस मनमोहक दृश्य को देखने वालों की भीड़ एकत्रित रही। इसके बाद लोग को भोज कराया गया। दीपों की जगमगाती रोशनी में लोग झूम नाच रहे थे। यह मनमोहक दृश्य देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो रहे थे।

देश के बंटवारे में मुस्लिमों ने गांव खाली कर दिया

डेरापुर तहसील क्षेत्र का बड़ा गांव गुलाम कायम। जैसा नाम वैसा ही था उस समय का नजारा। पूरे गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगों का ही वास था। जब देश का बंटवारा हुआ तो गांव से मुस्लिम समुदाय के लोग गांव छोड़ गए। इसके बाद खाली पड़ी आबादी में दूर दराज से आये लोग आकर बस गए। आज भी इस गांव में कोई पुस्तैनी परिवार नहीं रहता है। गांव में एक भव्य सदाशिव मंदिर बना हुआ है। कहते हैं काफी पुराना मंदिर है, जिसमें भगवान शंकर का शिवलिंग उत्पन्न हुआ था। बाद में ग्रामीणों ने उसकी स्थापना कराई और कई देवताओ की प्रतिमा की यहां स्थापना कराई। आज यहां लक्ष्मी नारायण महायज्ञ जैसे धार्मिक आयोजन होते हैं, जो अदभुत व अलौकिक छटा बिखेरता है।

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