हिन्दू समाज को तुच्छ समझने वालों के विरोध में हिन्दुओं को कठोर भूमिका अपनानी होगी - मारिया वर्थ, जर्मनी

वैन (दिल्ली ब्यूरो - 07.09.2021) :: हिन्दू धर्म को कनिष्ठ संबोधित कर, दुष्प्रचार कर हिन्दू समाज को तुच्छ समझना यह सभी विरोधक पहले से करते आ रहे हैं । अभी भी एक षड्यंत्र द्वारा प्रसार माध्यम और शैक्षिक लोगों के माध्यम से ये प्रयास किए जा रहे हैं; परंतु हिन्दू इसकी अनदेखी कर रहे हैं । हमें ध्यान रखना चाहिए कि हिन्दू संस्कृति, सभ्यता सर्वाधिक प्राचीन होते हुए भी काल प्रवाह में अभी भी जीवित है । हिन्दुओं को अब वैचारिक दृष्टि से स्वयं के धर्म के विषय में सुस्पष्ट तथा कठोर भूमिका अपनानी होगी, ऐसा प्रतिपादन जर्मनी की सुप्रसिद्ध लेखिका तथा ब्लॉगर मारिया वर्थ ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व परिषद - एक दुष्प्रचार’ इस विषय पर आयोजित विशेष संवाद में बोल रही थीं।

श्रीलंका की ‘शिवा सेनाई’ के संस्थापक श्री. एम्. सच्चिथानंदन ने कहा कि ‘विश्‍व को लाभकारी अनेक कृतियां हिन्दू धर्म ने विश्‍व को दी है । हिन्दुत्व को नष्ट करना, अनेक वर्षों से निर्माण की गई नैतिकता, सभ्यता, पारिवारिक, राजकीय, ऐतिहासिक, भौगोलिक मूल्य नष्ट करना है । गीता, चाणक्य नीति जैसे ग्रंथ नष्ट करने का यह षड्यंत्र है । हिन्दू विरोधी परिषद का आयोजन करनेवालों का कथन खरे हिन्दू बंधु कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे । दुर्योधन और रावण के समान ही इस परिषद के आयोजक भी असफल होंगे तथा हिन्दुत्व उत्थान की ओर मार्गक्रमण करता रहेगा, ऐसा हमारा दृढ विश्‍वास है।’

इतिहासकार श्रीमती मीनाक्षी शरण ने कहा कि ‘ब्रिटिशों ने संस्कृत, साथ ही संस्कृत विद्यापीठों पर आक्रमण कर तथा भारत के इतिहास में हस्तक्षेप कर भारत की असीमित हानि की है । हिन्दू धर्म का द्वेषपूर्ण प्रचार करने के लिए अमेरिका में आयोजित होने वाली ‘डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ यह कोई पहली परिषद नहीं है । इसके पहले भी अलग-अलग देशों में परिषद लेकर हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के प्रयास किए गए हैं । समय के साथ व्यक्ति भले ही बदल गए हों, तब भी हिन्दू धर्म के विषय में द्वेषपूर्ण प्रचार करने वाले कार्यक्रम आज भी हो रहे हैं । हिंदुओं को इसका तीव्र विरोध करना आवश्यक है।’

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