बैंड-बाजा और बारात के बीच पिस रहा बचपन; कम रुपयों में बच्चों से देर रात तक उठवाए जा रहे लाइट झाड़

- बालश्रम कानून ताक पर, हो सकती है जेल

- नरेश पारस ने श्रम विभाग तथा डीएम को लिखा पत्र

वैन (सुनील अरोड़ा - आगरा, उत्तर प्रदेश - 01.12.2021) :: बारातों में बैंड-बाजों के बीच बचपन पिस रहा है। बालश्रम कानूनों को ताक पर रखकर बारातों में छोटे बच्चों से बैंड बजवाए जाते हैं तथा उनसे भारी सामान (लाइट, झाड़ आदि) उठावाए जाते हैं। बैंड संचालकों/वादकों द्वारा बच्चों से देर रात तक बैंड बजवाए जाते हैं। बारातों में बालश्रम रोकने के लिए बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम तथा श्रम विभाग को पत्र लिखा है।

नरेश पारस ने कहा कि बारातों लाइट झाड़ उठाने वाले या ट्राली खींचने वाले अधिकांश बच्चों की उम्र 14 वर्ष से कम होती है। उनसे भारी सामान उठवाए जाते हैं तथा मैरिज होम में बच्चों को दरबान बनाकर खड़ा किया जाता है। यह बाल श्रम की श्रेणी में आता है। बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम के तहत 20-50 हजार रुपये तक जुर्माना तथा छह माह से लेकर तीन साल तक कैद का प्रावधान है। एक वयस्क मजदूर पूरे पैसा लेता है जबकि बच्चे कम पैसों में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। बड़े पैमाने पर बाल अधिकारों का हनन हो रहा है। पूर्व में भी कई बार विभाग को अवगत कराया जा चुका है। श्रम विभाग द्वारा पत्र भी जारी किए जाते हैं, लेकिन कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हो पाती है।

नरेश पारस ने मांग की है कि समस्त श्रम प्रवर्तन अधिकारियों को आदेश जारी कर बैंड बाजों में बच्चों से बैंड बजवाना तथा भारी सामान (लाइट, झाड़ आदि) उठावाना पूरी तरह प्रतिबंधित कराया जाए। साथ ही बैंड संचालकों और बारातघरों को भी नोटिस जारी किए जाएं। बच्चों से लाइट तथा झाड़ उठवाने वालों के विरूद्ध बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए।

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