ऐतिहासिक महत्त्ववाले लोकमान्य टिळक के जन्मघर की तत्काल देखभाल की जाए !

दिल्ली ब्यूरो (27.11.2021) :: ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और वह मैं प्राप्त करूंगा’ ऐसी सिंहगर्जना कर भारतीयों में स्वराज्य प्राप्ति की चेतना जागृत करनेवाले लोकमान्य बाळ गंगाधर टिळक का आदर्श सरकार को युवा पीढी के समक्ष रखना चाहिए । इस हेतु उनकी स्मृतियों का जतन और संवर्धन करना चाहिए; परंतु दुर्भाग्य यह है कि महाराष्ट्र सरकार के पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले लोकमान्य टिळक के रत्नागिरी स्थित जन्मस्थान की अत्यधिक दुर्दशा हुई है । इस अमूल्य धरोहर का ऐतिहासिक महत्त्व ध्यान में रखकर सरकार लोकमान्य टिळक के जन्मघर की तत्काल देखभाल करें, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से रत्नागिरी के जिलाधिकारी डॉ. बी. एन्. पाटील से की गई । 26 नवंंबर को समिति के शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी डॉ. बी. एन्. पाटील से भेंट कर इस विषय में विस्तृत निवेदन प्रस्तुत किया । इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. संजय जोशी के साथ श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के श्री. देवेंद्र झापडेकर, टिळकप्रेमी श्री. शरदचंद्र रानडे, श्री शिवचरित्र कथाकार श्री. बारस्कर और सनातन संस्था के श्री. रमण पाध्ये उपस्थित थे ।

लोकमान्य टिळक के जन्मस्थान की छत्त के कवेलू टूट गए हैं, साथ ही दीवारों पर काई जम गई है । कुछ स्थानों पर दीवार टूट गई है । पुरातत्व विभाग द्वारा जन्मस्थान के प्रवेशद्वार के बाहर लगाए गए फलक को जंग लगी है । वह पढने योग्य नहीं है । लोकमान्य टिळक की प्रतिमा और परछत्ती की दुर्दशा हुई है तथा प्रतिमा का रंग कुछ स्थानों से उड गया है । स्मारक की छत्तों के कवेलू पर घास उग आई हैं । इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो वर्षा में पानी टपकने से यह ऐतिहासिक वास्तु और इस वास्तु में जतन किया गया अनमोल संग्रह खराब होने का भय है । लोकमान्य की प्रतिमा पर लगाई परछत्ती के खंबों में लगाई गई फर्शियों में दरारें आ गई है । परछत्ती के अर्धगोलाकार छत का रंग उड गया है । परछत्ती के उद्घाटन का फलक खराब हो गया है तथा वह पढने योग्य नहीं रहा है । परछत्ती के पीछे लोकमान्य टिळक की शिल्पकृति टुटी हुई स्थिति में है । इस जन्मस्थान को देखने के लिए पूरे देश से हजारों पर्यटक तथा शाला (विद्यालय) के विद्यार्थी दौरे पर आते हैं । वे जन्मस्थान की जानकारी पुस्तिका मांगते हैं; परंतु जन्मस्थान पर साधारण जानकारी पुस्तिका भी उपलब्ध नहीं है । पर्यटकों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, ‘सीसीटीवी’ नहीं, वाहनतल (पार्किंग) की व्यवस्था नहीं, ऐसी अनेक सुविधाओं का अभाव है । पर्यटकों को टूटा-फूटा ध्वस्त और भग्न स्थितिवाला जन्मस्थान देखना पडता है । स्वतंत्रता संग्राम के इस महान नेता के जन्मस्थान की सरकार तत्काल देखभाल करें, ऐसी समस्त राष्ट्रप्रेमियों की मांग है ।

‘सूचना के अधिकार’ अंतर्गत ‘क्या वर्तमान स्मारक का राज्य अथवा केंद्र शासन के पुरातत्व विभाग ने निरीक्षण किया है ?’ ऐसा पूछने पर ‘निरीक्षण नहीं किया है’, ऐसा उत्तर दिया गया । इससे सरकार की इस स्मारक के प्रति उदासीनता दिखाई देती है । लोकमान्य टिळक के जन्मस्थान की तत्काल सुरक्षा और संवर्धन किया जाए । साथ ही इसे ‘राष्ट्रीय स्मारक’ घोषित किया जाए । यहां लोकमान्य टिळक का जीवनपट दिखाने की व्यवस्था करें । जन्मस्थान की जानकारी पुस्तिका और लोकमान्य द्वारा लिखे गए ग्रंथों की प्रति, लोकमान्य टिळक के दुर्लभ छायाचित्र इत्यादि साहित्य यहां रखे जाएं, ऐसी मांग इस निवेदन में की गई है ।

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