अंतर्राष्ट्रीय गीता जयन्ती में भारतीय सभ्यता को जिन्दा रखता विशेष अचार

वैन (आंचल :: कुरुक्षेत्र, हरियाणा) :: भारत की धर्मनगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र स्थित भ्रमसरोवर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता जयन्ती महोत्सव के सरस मेले में भारत के विभिन्न और राज्यों से लोग अपनी-अपनी कलाकारी और स्वयं तैयार किये गए सवादिष्ट व्यजंन की प्रदर्शनी के लिए आये हैं। विभिन्न राज्यों, शहरों और देशों द्वारा लगायी गयी इन स्टॉलों में एक स्टॉल अचार की भी नजर आई, जो महोत्सव में अपनी अलग ही छाप छोड़ रही है। यह अचार हिमाचल प्रदेश के गांव डुंगरी विकास खण्ड भोरंज में तैयार किया जाता है। यह अचार दीपा शर्मा व मीना शर्मा के अथक प्रयासों द्वारा बनाया जाता है। इस गांव में इन्हें अचार वाली के नाम से जाना जाता है। इनके अचार की विशेषता यह है कि अचार बनाने के लिए किसी भी तेल, सिरका या केमिकल (तत्य पदार्थ) का प्रयोग इसमें नहीं किया जाता। पहाड़ी इलाके मे उगने वाले गलगल से ये अचार तैयार किया जाता है। भिन्न-भिन्न प्रकार का अचार बनाया जाता है। जैसे आम, नींबू, छुआरे, लाल मिर्च और सबसे अलग बात यह है कि ये बांस व लुहसन का भी अचार बनाते हैं। इनका अचार सालों-साल खराब नहीं होता। पर्यटक इस स्टॉल से अचार का जायका चखते और खरीदते नजर आते हैं।
वैन, अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी से ख़ास बातचीत में पता चला कि दीपा शर्मा को सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। गीता जयंती महोत्सव के सरस मेले में पिछले कुछ सालों से ये लगातार आ रहे हैं और पयर्टकों को गीता जयन्ती मे बहुत अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है।
मीना शर्मा हमे बताया कि वह किस-किस तरह से अचार बनाते हैं व कितने समय में अचार तैयार हो जाता है। जहां भारतीय युवाओं में एक तरफ चाइनीज़ और फास्ट फूड का चलन बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ हिन्दुस्तानी खाने में अचार ने आज भी अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है, जो भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखने में एक अहम भूमिका निभा रहा है।

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