हिन्दू नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात गुढीपाडवा को क्यों मनाना चाहिए - हिन्दू जनजागृति समिति

वैन (दिल्ली ब्यूरो - 01.04.2022) :: हिन्दू बंधुओं भारतीय संस्कृति के अनुसार नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात गुढीपाडवा को मनाएं। ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा किया गया है । भारतीय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की निर्मिति हुई, इसलिए यह केवल हिन्दू धर्मियों का ही नहीं, अपितु अखिल सृष्टि का प्रारंभ दिन है, यह ध्यान रखना चाहिए । भारत पर अंग्रेजों की सत्ता थी, तब 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन कहा गया । यह अनुचित धारणा बनाने के कारण स्वतंत्र भारत में भी अधिकांश लोग 1 जनवरी को ईसाई नववर्ष मनाकर पश्‍चिमी संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं। शास्त्र समझकर भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्षारंभ मनाना, यह प्राकृतिक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक आदि सभी दृष्टि से श्रेयस्कर और लाभदायक है। इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा देशभर के विविध राज्यों में सोशल मीडिया, फलक प्रसिद्धी, व्याख्यान आदि माध्यमों से लोगों में जनजागृति की गई।

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को क्यों मनाना चाहिए ?’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद आयोजित किया गया था । इसमें बिहार के वर्ल्ड एस्ट्रो फेडरेशन के एशिया चैप्टर चेयरमैन आचार्य अशोक कुमार मिश्र ने कहा, ‘जिस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की निर्मिति की, उस शुभ दिन हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है । इस दिन नववर्ष मनाना वैज्ञानिक, प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टि से उचित है तथा ज्योतिष की दृष्टि से भी उत्तम है । ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाने का कोई ठोस आधार नहीं है।

दिल्ली के वैज्ञानिक, विचारक और लेखक डॉ. ओमप्रकाश पांडे ने कहा, हिन्दू नववर्ष के दिन शुभ संकल्प किया जाता है । कालचक्र का अध्ययन करने पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष क्यों मनाया जाता है, यह ध्यान में आएगा । सनातन संस्था की श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर ने इस अवसर पर कहा, हिन्दू नववर्ष को भारत में राज्य के अनुसार अलग अलग नामों से संबोधित किया जाता है । हिन्दू नववर्ष के समय हम प्रकृति का परिवर्तन अनुभव करते हैं । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही हिन्दू नववर्ष क्यों मनाना चाहिए, यह समझकर हिन्दू बंधु समाज और अपने हिन्दू धर्म बंधुओं का उद्बोधन करें।

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