आओ वृक्ष लगायें - अपनी जिम्मेदारी निभायें

वैन (रामा शंकर - आरा, बिहार) :: देश का प्रत्येक व्यक्ति अगर ‘वृक्षों को बचाओ’, ‘पौधों को लगाओ’ की पहल करे तो हमारे देश में प्राकृतिक परिवर्तन देखने को जरूर मिलेगा। क्योंकि वृक्ष ही हैं जो बारिश को धरती पर लाने में मदद करते हैं।

इतना ही नहीं ये वृक्ष प्रत्येक व्यक्ति को प्राण और वायु देने में भी सहायक होते हैं। पृथ्वी के शोभाधायक, मानवता के संरक्षक, पालक, पोषक एवं संवर्द्धक वृक्षों का जीवन आज संकटापन्न है। वृक्ष मानवता के लिये प्रकृति प्रदत्त एक अमूल्य उपहार हैं।पेड़ पौधे तो प्राकृति का उपहार है किसी भी भूखंड पे लगे पेड़ पौधे और वृक्ष केवल आँखों को हरियाली का आनंद नही देते है वे वातावरण को शीतल तथा पर्यावरण को मनमोहक बनाते है। हमारे आस पास का नभ जल स्थल ही हमारा पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण मे हरियाली होने से वातावरण मे नमी बनी रहती है तथा कृषि और वनस्पति दोनों मे वृद्धि होती है पेड़ पौधे एक दुसरे पर निर्भर रहते हैl सिर्फ पेड़ लगाने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नही होती, पर्यावरण की सुरक्षा तभी होगी जब लगये गए पौधों की देखभाल हो,समय-समय पर खाद- किटनाशक दवा दी जाये। प्रत्येक व्यक्ति एक एक वृक्ष लगा ले तो हमारा देश हरा भरा हो सकता है। विभिन्न संस्थाओं ने बेहतरीन वृक्षारोपण का कार्य किया थाl यह समय वृक्षारोपण के लिए बेहद उपयुक्त है लेकिन आज कल हर किसी का ध्यान आपदा से प्रभावित जनों की तरफ केन्द्रित है जिसकी वजह से देश में वृक्षारोपण हो रहा हैl इस वक्त जरूरत है वृक्षारोपण अभियान में तेजी लाने का कार्य करेl हम हर रोज अगर एक वृक्ष भी लगाते है तो पर्यावरण संरक्षण में एक सकारात्मक प्रयास होगाl आज अगर हम पेड़ पौधो की सेवा करेंगे तो वृक्ष भी हमे ऑक्सीजन और फल देंगेl हमे आपदा से पीड़ित लोगो को बचाने के साथ साथ पर्यावरण पर भी ध्यान देना चाहिएl आप बड़े गमलों में अपने घरों में भी पेड़ लगा सकते हैl हमारे शहर का कुल क्षेत्रफल का २०% हिस्सा ही हरित है, जबकि पर्यावरण संतुलन के लिए हरित क्षेत्र 36 प्रतिशत होना चाहिए। मानव को वृक्षारोपण को अपना कर्तव्य व दायित्व मानना चाहिए। इससे पर्यावरण असंतुलन की समस्याओं से आने वाले समय में निजात मिल सकती है। वे कार्बन डाई आक्साईड लेते है तथा ऑक्सिजन छोड़ते है, पौधे अपनी जडों से नाईट्रोजन अवशोषित करके पोषित होते यह प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी भी है। मानव जीवन निर्वहन के लिए जितनी ऑक्सीजन लेता है उसके बदले में वृक्ष लगाकर यदि उतनी ऑक्सीजन प्रकृति को वापस नहीं लोटाता वृक्ष नहीं तो मानसून नहीं, मानसून नहीं तो बारिश नहीं, बारिश नहीं तो हमारी उन्नति नहीं। उन्नति के लिए सार्वजनिक जलस्रोतों (जैसे हैण्डपंप, बोरिंग नल) के आसपास जहां पानी व्यर्थ बहता हो, वह स्थान वृक्षारोपण के लिए उत्तम होता है। हम इस वेस्ट पानी को पेड-पोधों के लिए उपयोगी बना सकते है। इस छोटे से प्रयास के बदौलत आपको पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित करना चाहिए।

बता दें कि वृक्षों की कटाई, पेड़ों के देखभाल में कमी और अपेक्षा के अनुरुप वृक्षारोपण में कमी से सड़कें उदास हो रही है तो नहर तट सुनसान होता जा रहा है। अवैध अंधाधुंध वृक्षों की कटाई से पर्यावरण पर विपरित असर पड़ने से मानव को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है। है। वृक्ष ही प्रदूषण को रोकने में सहायक सिद्ध होते हैं।वृक्षों को काटने से बचाए, उनको अधिक से अधिक लगाएं।

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