भगवान सूर्य की प्रतिमा उतर आती है धरती पर, बेलाउर सूर्य मंदिर में सबकी मनोकामना होती है पूरी

- छठ महापर्व पर छाया कोरोना संक्रमण का साया...

वैन (तारकेश्वर प्रसाद - आरा, बिहार) :: देश भर में 20 नवंबर दिन शुक्रवार को छठ पूजन किया जाएग। इस दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रती आरोग्य और सुख-संपत्ति का आशीर्वाद मांगेंगे। पुराणों के अनुसार सृष्टि में दो प्रत्यक्ष देवता है सूर्य और चंद्रमा जिनकी पूजा तत्काल फल देती है। सूर्य की पूजा से भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठरोग से मुक्ति मिली थी। भगवान राम भी इनकी पूजा किया करते थे। ऋग्वेद में भी इनकी पूजा का जिक्र मिलता और युगों पुरानी छठ पूजा का उल्लेख प्राप्त होता है। यही वजह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में सूर्यदेव के अनेकों मंदिर हैं। आइए जानें भगवान सूर्य के प्रसिद्धि मंदिरों के बारे में साथ ही जानें किस स्थान पर छठ पर्व करने पर सूर्य देव जल्दी मनोकामना पूर्ण करते हैं। सबसे पहले बात करें तो भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के एतिहासिक मौनी बाबा बेलाउर सूर्य मंदिर आता है यहां आस्था विश्वास का मेला लगता है। यहां देश से नहीं विदेश से भी लोग आकर छठ का व्रत करते हैं जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं । बता दें कि भगवान भास्कर के मंदिर का निर्माण 1949 ईस्वी में खरना के दिन करबसिन निवासी संत मौनी बाबा ने किया था। तब से आज तक देश के कोने-कोने से छठ व्रत करने यहां प्रति वर्ष आते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि भगवान भास्कर का महिमा से जो यहां छठ व्रत करती / करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होता है।

मंदिर में सात घोड़े वाले रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा

मंदिर में सात घोड़े वाले रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा ऐसी लगती है मानों वे साक्षात धरती पर उतर रहे हों। उनकी मनोरम छवि का दर्शन कर श्रद्धालु प्रसन्न हो जाते हैं। मंदिर के चारों कोने पर मकराना संगमरमर से बनी दुर्गा जी, शंकर जी, गणेश जी और विष्णु जी की प्रतिमा है। पोखरा के ठीक बीचोबीच निर्मित मंदिर आकर्षक और भव्य दिखाई पड़ती है। सूर्य मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि बेलाउर का यह मंदिर श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। सदस्य छठ व्रतियों की सुविधा और व्यवस्था हेतु काफी सक्रिय हैं।बेलाउर सूर्य मंदिर काफी प्राचीन है। बतादे कि राजा द्वारा बनवाए 52 पोखरों में एक पोखर के मध्य में यह सूर्य मंदिर स्थित है। यहां छठ महापर्व के दौरान प्रति वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं।

छठ महापर्व पर कोरोना संक्रमण का साया...

बतादे कि 18 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहे छठ पूजा को लेकर राज्य सरकार के गृह विभाग ने सुझाव के साथ कुछ गाइडलाइन जारी की हैं। जारी गाइडलाइन में जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि नदियों एवं तालाबों के घाटों पर छठ करने जाने वाले व्रतियों को घर पर ही छठ करने के लिए प्रेरित करें। जिन घाटों पर छठ की तैयारी है वहां के कमिटी एवं स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कोरोना सुरक्षा का पूरी तरह से पालन हो। साथ हीं छठ करने वालों को अर्घ देने के दौरान डुबकी नहीं लगाने को कहा गया है। अगर बुखार है तो भी घर से घाट तक नहीं जाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही सबसे बड़ी सलाह यह दी गई है कि खतरा कोरोना का है, इस कारण से घर पर ही छठ मनाएं। ज्ञात हो कि छठ महापर्व पर कोरोना संक्रमण का साया है।

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