शिक्षा - बच्चे पूरे दिन किताब लेकर बैठने के बजाय निर्धारित समय तक ही पढ़ाई करें लेकिन तल्लीनता से

वैन (भागलपुर - बिहार ब्यूरो) :: जिले के पीरपैंती ब्लॉक के मध्य विद्यालय साठो के शिक्षिका कृति कुमारी अपने विद्यालय के बच्चों के प्रति काफी सजग रहती हैं ताकि बच्चों को किसी तरह की परेशानी ना हो। यहां तक कि शिक्षिका कृति कुमारी स्कूल के रसोईया को भी खाना बनाने में मदद करती हैं जिससे बच्चों को समय पर खाना मिल सकें।

कृति कहती हैं कि बच्चे पूरे दिन किताब लेकर बैठने के बजाय निर्धारित समय तक ही पढ़ाई करें लेकिन जब पढ़ने को बैठें तो ईमानदारी पूर्वक उसमें तल्लीन हो जाएं। ऐसा देखा जाता है कि कई बच्चे घंटों पढ़ते हैं लेकिन अच्छा परिणाम नही ला पाते हैं जबकि कुछ बच्चे कम समय तक ही पढ़ाई करते हैं और बेहतर करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि लोगों को दिखाने के लिए किताब लेकर बैठने के बजाय अपनी विषय वस्तु के अध्ययन के लिए पढ़ने बैठें। जब आपलोग यह सोंच लेंगे कि हमे पूरे तमन्ना के साथ अध्ययन करना है तो निश्चित ही जो समय आप पढ़ाई के लिए देंगे उसका आप पूरा सदुपयोग करेंगे। कई बार ऐसा देखा जाता है कि अभिभावक भी बच्चों को हमेशा पढ़ने के लिए डांटते रहते हैं। इससे भी बच्चों में किताब लेकर बैठने की आदत पड़ जाती है। वैसे बच्चे बैठे तो जरूर रहते हैं लेकिन पूरे मन से अध्ययन नही कर पाते हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए शिक्षिका ने बिहार ब्यूरो को बताया कि पढ़ाई से परिवेश का कोई लेना देना नही है। कई लोग परिवेश का हवाला देकर अपनी नाकामी छुपाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि गांव हो या शहर सभी जगह पढ़ने वाले बच्चे होते हैं। जो अपने लक्ष्य को एकाग्रचित होकर मनन करते हैं वे सभी परिस्थितियों में उसके अनुरूप चलने का मार्ग ढूंढ़ ही लेते हैं। ऐसा कदापि नही है कि बड़े शहरों के बच्चे ही बेहतर कर सकते हैं। जब बड़ों को सम्मान करेंगे तो उनकी हर एक सीख पर अमल भी करेंगे। इस पद पर रहते हुए भी मैं हमेशा बड़ों को सम्मान करना नही भूलती हूं। जब कभी कार्य की बोझ से अपने आपको दबी महसूस करती हूं तो बचपन की वह घटना याद आता है जब मां हमलोगों को खाना देने के साथ-साथ विद्यालय के लिए तैयार भी करती थी। इतने कार्य के बावजूद भी प्रतिदिन ससमय विद्यालय पहुंचती हूँ तो मैं कार्य की बोझ से फिर क्यों डरूं। उन्होंने बच्चों को सीख देते हुए कही कि आपलोगों को भी काम के बोझ से डरना नही चाहिए। उसे प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए। कई बच्चे पहले से पढ़ाई पर ध्यान नही देते हैं लेकिन जब परीक्षा नजदीक आता है तो अचानक उनकी नींद खुलती है। यदि सत्र के प्रारंभ समय से ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए तो आप सहज तरीके से परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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