मुकुट मुखारविंद मंदिर प्रकरण - रमाकांत गोस्वामी की याचिका हाईकोर्ट से खारिज़

उत्तर प्रदेश (राज ठाकुर राजावत - मथुरा - 21.07.2021) :: गोवर्धन के मानसी गंगा स्थित प्रसिद्ध मंदिर मुकुट मुखारविंद में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच और उसके उपरांत दर्ज हुई FIR पर सवाल उठाने वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज़ कर दी है। घोटाले के मुख्‍य आरोपी और कोर्ट से नियुक्‍त मंदिर के रिसीवर रमाकांत गोस्‍वामी ने यह याचिका इसी साल फरवरी में दायर की थी, लेकिन आरोपी को हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिलती दिखाई दी।

आरोपी के अनुसार चूंकि उसे कोर्ट से रिसीवर नियुक्‍त किया गया था लिहाजा न तो गोवर्धन के एसडीएम को मंदिर में हुए किसी घोटाले की जांच करने का अधिकार था और न ही उस जांच के आधार पर SIT कोई FIR दर्ज करा सकती थी।

रमाकांत गोस्‍वामी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (गृह) सहित जिलाधिकारी मथुरा तथा उपजिलाधिकारी (एसडीएम) गोवर्धन को पार्टी बनाते हुए 05 फरवरी 2021 को यह याचिका दायर की थी जिसे 10 फरवरी 2021 को कोर्ट ने रजिस्‍टर्ड किया।

उल्‍लेखनीय है कि करीब 3 वर्ष पूर्व इंपीरियल पब्‍लिक फाउंडेशन नामक एनजीओ ने गोवर्धन स्‍थित विश्‍व प्रसिद्ध मंदिर मुकुट मुखारविंद में करोड़ों रुपए का घोटाला किए जाने की शिकायत तहसील दिवस पर प्रार्थना प्रत्र देकर की थी।

इस शिकायत के बाद तत्‍कालीन जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्रा द्वारा मामले की जांच गोवर्धन के तत्‍कालीन एसडीएम नागेन्‍द्र कुमार सिंह को सौंप दी गई। एसडीएम नागेन्‍द्र कुमार सिंह ने अपनी जांच में प्रथम दृष्‍ट्या रिसीवर रमांकत पर लगाए गए सभी आरोपों को सही पाया, बावजूद इसके यूपी SIT ने अपने स्‍तर से फिर इस मामले की जांच की।

जांच पूरी करने के बाद यूपी SIT के निरीक्षक कुंवर ब्रह्मप्रकाश ने अपने यहां क्राइम नंबर 0010/20120 पर यह मामला 11 सितंबर 2020 की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर दर्ज करा दिया।

तब से यह मामला पता नहीं किन कारणोंवश लटका रहा लिहाजा इसमें मुख्‍य आरोपी रमाकांत गोस्‍वामी या किसी अन्‍य आरोपी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई जबकि SIT ने इसमें करीब डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है।

SIT की इसी ढील का फायदा उठाकर मुख्‍य आरोपी रमाकांत गोस्‍वामी और उसके गुर्गे अपने बचाव में कोई न कोई नया हथकंडा इस्‍तेमाल करते रहते हैं और बेख़ौफ़ होकर मन्दिर की धन-संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं।

बहरहाल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत 13 जुलाई को रमाकांत गोस्‍वामी की याचिका का निस्‍तारण करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि एसडीएम गोवर्धन की जांच और SIT द्वारा दर्ज कराई गई FIR से याचिकाकर्ता के किसी अधिकार का हनन होता प्रतीत नहीं हुआ इसलिए याचिका खारिज़ की जाती है। इस बारे में मंदिर घोटाले की सर्वप्रथम शिकायत करने वाले एनजीओ इंपीरियल पब्‍लिक फाउंडेशन के अध्‍यक्ष रजत नारायण का कहना है कि रमाकंत गोस्‍वामी को अपर सिविल जज प्रथम मथुरा के आदेश से गोवर्धन स्‍थित मुकुट मुखारविंद मंदिर का रिसीवर नियुक्‍त किया गया था न कि वो स्‍वयं में कोई न्‍यायिक अधिकारी हैं।

हालांकि उनका व्‍यवहार यही दर्शाता है कि वह खुद को सबसे ऊपर समझ रहे हैं और इसलिए न केवल एसडीएम की जांच तथा SIT की FIR पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगाने का प्रयास कर रहे हैं बल्‍कि उन्‍हें कानूनन गलत साबित करने की कोशिश में लगे हैं।

अब देखना यह होगा कि एसडीएम की जांच और SIT की FIR को चुनौती देने वाली मुख्‍य आरोपी रमाकांत की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट से खारिज़ कर दिए जाने के बाद भी SIT हाथ पर हाथ रखे बैठी रहती है या करोड़ों लोगों की आस्‍था एवं विश्‍वास से खिलवाड़ करने वाले घोटालेबाजों की धरपकड़ शुरू कर कानून पर भरोसा कायम रहने का काम करती है।

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