13,000 से अधिक पन्नों में किसको और क्या मिला RTI का जवाब, आप भी सुनिये !!!

- कार्ड धारक मजदूरों की शिकायत पर जन प्रहरी संस्था की RTI

- उप श्रम आयुक्त कार्यालय ने 13,400 पन्नो का दिया जवाब

- बल्केश्वर में मजदूरों के लिये बने आवासों में बड़े-बड़े शोरूम बनाये गये

- आपदा के समय आयी धनराशि के बंदरबांट की आशंका

वैन (सुनील अरोड़ा - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: आगरा सिथित उप श्रम आयुक्त कार्यालय के खिलाफ कार्ड धारक मजदूर वर्ग द्वारा निरंतर की जा रही शिकायतों के आधार पर जन प्रहरी संस्था ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उप श्रम आयुक्त कार्यालय से 5 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। इसी सूचना को लेकर 13400 पेज की सूचना जन प्रहरी के पदाधिकारियों को श्रम विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई। जिसके बदले विभाग ने संस्था से ₹26400 जमा करवाएं।

जन प्रहरी के प्रबंधक सचिव नरोत्तम शर्मा ने कहा कि उनकी संस्था को कार्ड धारक श्रमिकों की लगातार कई शिकायतें मिल रही थी। उनकी शिकायतों के बाद ओर पूरी छानबीन करने के बाद संस्था को पता चला सरकार की योजनाओं के पात्र मजदूरों को उनका पूरा लाभ नही मिल रहा है। इसकी जगह अपात्रों को लाभ पहुँचाया जा रहा है। पात्र ओर अपात्रों लोगो की जानकारी प्राप्त करने के लिए विभाग से सूचना के अधिकार के तहत और सरकार द्वारा आपदा के समय भेजी गई राशि मे बड़े घोटालों के होने की आशंका पर पांच मामलों से संबंधित सूचना मांगी गयी थी। जिसको कि विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि संस्था ने एक तो बल्केश्वर में गरीब मजदूर तबके के लिए बनाए गए 1295 मकान की जानकारी मांगी थी। उन्होंने बताया कि कार्ड धारक मजदूरों को इसका लाभ नही मिल रहा है। उनकी जगह पर अपात्रों, पूंजीपतियों, व्यापारियों ने उक्त आवासों पर अवैध तरीके या रुपयों के बल पर अपने नाम कराकर पुराने मकानों का स्वरूप बदलकर बड़े बड़े शोरूम, दुकानें, भवन बना लिए है। दूसरे, भवन निर्माण पर राज्य सरकारों द्वारा सेस टेक्स लगाया जाता है, जिससे गरीब मजदूर तबके के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीब कन्याओं के विवाह ओर मृत आश्रित के कल्याण में खर्च किया जा सके, लेकिन विभाग द्वारा मनमाने तरीके से किये गए अवैध निर्माण से अवैध वसूली की जाती है। जिससे राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान के साथ साथ लाभार्थियों को उसका लाभ नही मिलता। इसका सही मायने में उपयोग किया जा रहा है कि नही। तीसरी जानकारी, उन्होंने आपदा समय पर सरकार द्वारा तीन बार 1000 रुपये की राशि मजदूर वर्ग को दिए जाने थे, उसका सही कार्ड धारक मजदूरों तक आवंटित हुए कि नही। इसके अलावा दिव्यांग मजदूरों के कल्याण जैसे बालक बालिका की शिक्षा में वो सही मायने में कौन कौन चयनित लाभार्थी है या फर्जी तरीके से अपात्रों को लाभ दिया गया। इसकी सूची भी मांगी गई है। संस्था द्वारा इस जैसी कई मजदूरों के कल्याण के लिए आई योजना से संबंधित जानकारियां श्रम विभाग से मांगी गई है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के श्रम विभाग द्वारा लेबर सेस (उपकर) ओर आपदा, शिक्षा व अन्य मदों के नाम पर आए करोड़ो रूपये का बंदरबाट करने की आशंका के चलते आरटीआई एक्टविस्ट नरोत्तम शर्मा ने जानकारी मांगी थी। जिसको की विभाग ने उपलब्ध कराई है। आरटीआई एक्टविस्ट नरोत्तम शर्मा ने बताया कि श्रम विभाग से करीब 13400 पन्नो का जबाब आया है, क्योंकि लगातर श्रम विभाग के खिलाफ पीड़ित मजदूरों द्वारा जन प्रहरी संस्था को आ रही शिकायत के आधार पर श्रम विभाग से सूचना मांगी गई थी। उनके मुताबिक जब जन प्रहरी ने श्रम विभाग में हो रही अनिमियता की जानकारी आरटीआई से लेना चाही तो करीब 26400 रुपये का बिल थमा दिया। जिसका भुगतान जन प्रहरी संस्था ने किया। सचिव नरोत्तम शर्मा ने बताया कि पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद ही ये जानकारी लगेगी कि श्रम विभाग द्वारा कितना बड़ा घोटाला किये जाने की आशंका है। उनके मुताबिक प्रारंभिक शिकायतों ओर जांच के बाद इसमे कई करोड़ो रुपयों की रकम का बंदरबांट सामने आने का अंदेशा है। जन प्रहरी संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने बताया कि जन प्रहरी के सभी सदस्यों व आगरा के प्रबुद्ध लोगो की मदद से इस घोटाले के खुलासे को जल्द ही राज्य सरकार के साथ-साथ आगरावासियो के सामने रखा जाएगा और घोटाला पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों की शिकायत माननीय सीएम योगी जी से की जाएगी ओर किसी बड़ी संस्था से जांच कराने की मांग रखी जायेगी। उन्होंने बताया कि आगरा में जन प्रहरी संस्था ने जो शुरूआत की है न "बिकूँगा, न रुकूंगा, न डरूंगा, न झुकूंगा" इस प्रण को लेकर कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है। जो भी संस्था द्वरा जनहित के मुद्दों की आवाज उठाई है वह जनप्रहरी ने पटल पर रखकर अंजाम देने में सक्षम रही है। अब देखना यह होगा इस 134 बंडलों में कितने अधिकारियों के बंडल बंधेगे।

इस मामले में डॉ आनन्द राय, रामनरेश उर्फ बबलू यादव, इंद्र सिंह यादव, श्याम सुंदर यादव, नरेंद्र रावत, रविकांत पचौरी, गुलावसिंह एडवोकेट, अनिल शर्मा एडवोकेट, विजय सिंह आदि लोगो का सहयोग रहा।

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