29 वर्षों में हिन्दुओं का कश्मीर में पुनर्वास न होना भारतीय लोकतंत्र की पराजय

- 19 जनवरी से कुम्भ मेला क्षेत्र में पहली बार कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचार से संबंधित चित्रप्रदर्शनी !

वैन (इलाहबाद ब्यूरो) :: 19 जनवरी 1990 में आतंकवाद के कारण कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर घाटी छोडनी पडी थी। इस घटना को इस वर्ष 29 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत में सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, सेनादल एवं संसद होकर भी विगत 29 वर्षों में हिन्दुओं का कश्मीर में पुनर्वास न होना भारतीय लोकतंत्र की पराजय है। मोदी शासन ने चुनावी घोषणापत्र में वचन दिया था कि कश्मीर में हिन्दुओं की घर-वापसी करेगें। सत्ता के साढे चार वर्षो के उपरांत हमारा प्रश्‍न है कि मोदी सरकार हिन्दुओं का कश्मीर में पुनर्वास करने का साहस कब दिखाएगी? यह वक्तव्य हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगले ने संवाददाता सम्मेलन में दिया।

आगे बलते हुए उन्होंने कहा कि इस निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति ने कुम्भ मेले में पहली बार कश्मीरी और बांग्लादेशी हिन्दुओं पर जिहादी कट्टरपंथियों एवं आतंकवादियों के भीषण अत्याचार से संबंधित भव्य चित्र-प्रदर्शनी का आयोजन किया है। यह प्रदर्शनी ‘भूमा निकेतन पीठाधीश्‍वर पंडाल’, संगम लोवर मार्ग, सेक्टर 15 में लगाई गई है। 19 जनवरी को ‘कश्मीरी हिन्दू विस्थापित दिवस’ है। इस अवसर पर सवेरे 11 से दोपहर 1 बजे तक इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पिंगले ने आह्वान किया कि कुम्भ में सम्मिलित सभी श्रद्धालु, संतसमाज, हिन्दू संगठन, पत्रकार एवं विद्यार्थी इस चित्र-प्रदर्शनी को देखें तथा 19 जनवरी को आयोजित संगोष्ठी में भाग लेकर ‘आतंकवाद का भीषण सत्य समझें।’

सम्मेलन में उपस्थित हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पूज्य नीलेश सिंगबाल ने बताया कि समिति द्वारा ‘स्वच्छ कुम्भ, सात्त्विक कुम्भ’ अभियान संचालित किया जा रहा है। इसमें ‘तीर्थक्षेत्र, मंदिर, गंगाजी एवं कुम्भ क्षेत्र की स्वच्छता एवं पवित्रता बनाए रखने के लिए समिति श्रद्धालुओं का उद्बोधन कर रही है तथा मंदिरों की पवित्रता की रक्षा करने हेतु हस्तपत्रक बांटे जा रहे हैं। देवताओं के चित्रयुक्त टी-शर्ट से देवताओं का अनादर होता है। इसी प्रकार, मिठाई के डिब्बों, धूपबत्ती के आच्छादन आदि पर भी देवताओं के चित्र होते हैं। इन वस्तुओं के उपयोग के पश्‍चात खाली डिब्बे अथवा आच्छादन कूडे में फेंक दिए जाते हैं। इससे भी देवताओं का अनादर होता है। इसे रोकने के लिए सनातन संस्था ने ‘स्वच्छ कुम्भ, सात्त्विक कुम्भ’ नामक उपक्रम आरंभ किया है।

संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने बताया कि कुम्भ के अवसर पर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति मिलकर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए 3 संत-संगोष्ठियां एवं 2 हिन्दू-संगठन समारोह भी आयोजित करेंगे।

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