कृष्ण जन्म से पहले शेषावतार ने लिया जन्म; धूमधाम से मनाया दाऊजी का जन्मोत्सव

~ ललिता के गांव में जन्में कृष्ण के बड़े भ्राता

उत्तर प्रदेश (राज ठाकुर राजावत - मथुरा / बरसाना) :: अरावली की श्रंखला में स्थित अटा आटोर पर्वत की कन्दराओं में स्थित अकबर कालीन दाऊजी मंदिर में शनिवार को कृष्णावतार से पूर्व शेषावतार दाऊजी का जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। वहीं कोरोना के चलते मंदिर परिसर सुना पड़ा रहा। शनिवार को बरसाना से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित राधारानी की प्रधान सखी ललिताजी के निज गांव ऊँचागांव में शेषावतार बलदाऊ जी के जन्मोत्सव के मौके पर मंदिर सेवायत उपेंद्र भट्ट ब्रजाचार्य पीठ ,दिलीप महाराज, सूसठ महाराज, लोनी महाराज ने मंदिर के गर्भ गृह में वेद ऋचाओं के सस्वर पाठ व पंचामृत से अभषेक कराया गया। इसके बाद दाऊजी की प्रतिमा को मन्दिर के बाहर चौक में विराजमान कर घण्टे घड़ियालों की धुन पर पन्चामृत से अभिषेक कराया गया। अभिषेक के बाद दाऊजी महाराज व रेवती माता की प्रतिमा का श्रंगार कर उन्हें फूल बंगला में विराजमान किया गया। वहीं मंदिर सेवायतों द्वारा दाऊजी महाराज को भांग सहित छप्पनभोग लगाया गया। इस दौरान ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता घनश्यामराज भट्ट, ललिता पीठ के पीठाधीश्वर कृष्णचंद तैलंग, प्रेमपीठ तिजारा के पीठाधीश्वर ललित मोहन ओझा, दिनेश भट्ट, पंकज माहेश्वरी, गोपाल सखी, रोहित भट्ट, हरिओम गोस्वामी आदि मौजूद थे।

साढ़े पांच सौ वर्ष पहले नारायण भट्ट ने किया था प्राकट्य

बरसाना: आज से करीब साढ़े पांच सौ वर्ष पहले श्रील नारायण भट्ट ने दाऊजी व रेवती माता के श्रीविग्रह को हींस के वृक्ष के नीचे से प्राकट्य किया था। तभी श्रील नारायण भट्ट की प्रेरणा से अकबर के राजस्व मंत्री टोडरमल ने दाऊजी महाराज के लिये मंदिर का निर्माण कराया था। ब्रजाचार्य पीठ के प्रवक्ता घनश्यामराज भट्ट ने बताया कि ऊंचागांव ही श्रील नारायण भट्ट की तपस्थली थी। यहीं उन्होंने समाधी भी ली, दाऊजी महाराज की प्रेरणा से ही उन्होंने विग्रहों का प्राकट्य किया था।

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