370 और 35 ए हटाने की अलीगढ़ से आई थी सबसे पहले आवाज़

वैन (मुकेश कुमार सिंह - अलीगढ़, उत्तर प्रदेश) :: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर भले ही कोई सकारात्मक बयान न आया हो, लेकिन यहां जन्मे पुष्पेंद्र कुमार ने जम्मू-कश्मीर का भूगोल बदलने की सबसे पहले पहल की थी। 35ए हटाने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। देश में घूम-घूमकर लेागों को जम्मू-कश्मीर के बारे में बताया।

ऐसे हुई शुरूआत

पुष्पेंद्र कुमार का जन्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में हुआ था। उनके पिता स्व. बल्देव प्रसाद स्टॉफ ऑफिसर थे। यहीं उन्होंने पढ़ाई की। प्रेस क्लब के अध्यक्ष रहे पुष्पेंद्र कुमार ने सबसे पहले 19 अगस्त 2014 को दोस्त संदीप कुलकर्णी के साथ 'वी द सिटीजन ' संस्था की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 35ए के खिलाफ केस किया। कश्मीर घाटी में इस याचिका को लेकर मानो आग ही लग गई हो। राजनीतिक पार्टियों का भी याचिका ने ध्यान खींचा।

राष्ट्रपति का आदेश संविधान का हिस्सा कैसे बन सकता है

पुष्पेंद्र कुमार ने दैनिक जागरण को बताया कि नेहरू जी के दवाब में राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने 35ए को लेकर आदेश जारी किया था। राष्ट्रपति का आदेश संविधान का हिस्सा कैसे बन सकता है। यह गैर कानूनी है। इसी को सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज किया।

दोस्त की मौत से लगा झटका

संस्था के संस्थापक सदस्य संदीप कुलकर्णी की मौत से मैं टूट गया था। क्योंकि वह वकील भी थे। कोर्ट की लड़ाई हमारे लेबल की थी नहीं, क्योंकि हम वकील नहीं थे। जो वकील था वो चला गया। फिर मैंने तय किया मैं पूरे देश में लेागों से जा-जाकर बोलूंगा। लोगों ने बुलाया भी। मेरी सारी स्पीच में इस्लाम आतंकवाद, कुरान, सरिया, हदीस सब शामिल किया।

जम्मू-कश्मीर का संविधान फेंका डस्टबिन में

पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि देश भर में जो अलख जगाया उसका असर ये हुआ कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 व 35ए को शामिल किया। इससे हमारी आधी लड़ाई कम हो गई। सरकार ने इसे आज इसे खत्म करा दिया। इससे ऐतिहासिक दिन कोई नहीं हो सकता। भारत का एक राज्य इस्लामिक स्टेट बन चुका था, वहां भारत का कानून नहीं चलता था। संसद का कानून नहीं चलता था। चुनाव आयोग का कानून नहीं चलता था। आज जम्मू-कश्मीर का संविधान डस्ट बिन में फेंक दिया गया। 10 लाख हिन्दू जो 70 साल से नागरिकता को तरस रहे थे, उन्हें नागरिकता मिलेगी। इनमें ढाई लाख दलित हैं।

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