ख़ान शैख़ून की लड़ाई में सीरिया सेना के लक्ष्य और तुर्की का संभावित अंजाम

प्रख्यात अरबी समाचारपत्र रायुल यौम ने अपनी एक समीक्षा में लिखा है कि ख़ान शैख़ून क़स्बे को आतंकियों से मुक्त कराने लिए सीरियाई सेना की कार्यवाही और इदलिब की बहाली के लिए अपनी प्रगति में उसे प्राथमिकता देने के तीन अहम लक्ष्य हैं। रायुल यौम के प्रधान संपादक अब्दुल बारी अतवान ने लिखा है कि तुर्की के अधिकारियों ने 50 बक्तरबंद गाड़ियों और 5 टैंकों के साथ हथियारों से लैस अपने सैनिकों की एक टुकड़ी, नुस्रा फ़्रंट के आतंकियों के मदद के लिए रवाना की है जबकि ये आतंकी उत्तरी हमा में अपने अधिकतर ठिकानों से हाथ धो चुके हैं। तुर्की का यह क़दम, ख़ान शैख़ून के रणनैतिक क़स्बे को स्वतंत्र कराने से सीरिया के सैनिकों को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। यह कार्यवाही, सीरिया संकट में एक बड़ी घटना और तुर्की की ओर से सीरिया में खुल्लम खुल्ला हस्तक्षेप है और अनेक टीकाकारों का कहना है कि इसके परिणाम में तुर्की और सीरिया के बीच सीधा टकराव हो सकता है।   सीरिया ने तुर्की के इस हस्तक्षेप की कड़ी निंदा करते हुए इसे शत्रुतापूर्ण व्यवहार बताया है और कहा है कि इससे इस क्षेत्र पर सीरिया की संप्रभुता को मज़बूत बनाने के लिए सीरियाई सेना के संकल्प पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दमिश्क़ का कहना है कि तुर्की के इस सैन्य कारवां पर हवाई हमला एक वैध क़दम है जो सीरिया की संप्रभुता की रक्षा के परिप्रेक्ष्य में है। हमें नहीं लगता कि रूस की वायु सेना के समर्थन से सीरियाई सेना की यह तेज़ प्रगति रुक पाएगी क्योंकि संभावित रूप से तुर्की के सैन्य कारवां पर सीरियाई सेना का हवाई हमला रूस की हरी झंडी के बाद ही हुआ है ताकि इस कारवां को नुस्रा फ़्रंट के आतंकियों की मदद करने से रोका जा सके।   माॅस्को में रूसी नेतृत्व के एक निकट सूत्र ने बताया है कि ख़ान शैख़ून पर हमले का फ़ैसला, गत मई में नुस्रा फ़्रंट के आतंकियों द्वारा रूस की हमीमीम सैन्य छावनी पर राॅकेट हमले किए जाने के बाद लिया गया है और दूसरी ओर इन आतंकियों को विमान भेदी मीज़ाइल दिए जाने के कारण सीरिया का एक लड़ाकू विमान मार गिराया गया। हमीमीम छावनी की सुरक्षा, रूस की रेड लाइन है और निश्चित रूप से उस पर किसी भी हमले का तुरंत जवाब दिया जाएगा और वह जवाब ऐसा होगा कि हमले के ज़िम्मेदार पक्षों को बड़ी तेज़ी के साथ पूरी तरह से तबाह कर देगा।   सीरिया की सेना ख़ान शैख़ून के केंद्र तक पहुंच चुकी है और तुर्की द्वारा आतंकियों की मदद, सीरियाई सेना को नहीं रोक सकती। ख़ान शैख़ून के केंद्र के 400 मीटर निकट तक पहुंच जाना, सीरिया की एक बड़ी सैन्य विजय है। ख़ान शैख़ून क़स्बे को आतंकियों से मुक्त कराने लिए सीरियाई सेना की कार्यवाही और इदलिब की बहाली के लिए अपनी प्रगति में उसे प्राथमिकता देने के तीन अहम लक्ष्य हैं जो इस प्रकार हैं। दमिश्क़-हलब अंतर्राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीरियाई सेना का नियंत्रण स्थापित करना और उसे सुरक्षित बनाना। हमा के उत्तरी उपनगरीय क्षेत्र में आतंकियों को उनकी अंतिम छावनी में घेरना। सितम्बर 2018 में रूस और तुर्की के बीच सूची में हुए समझौते के अनुसार मूर्क में तुर्की के नियंत्रण केंद्र को समाप्त करना।   तुर्की पर रूस का आरोप है कि वह इदलिब शहर से नुस्रा फ़्रंट के अधीन आतंकियों को बाहर निकालने के संबंध में अपने वादे का पालन नहीं कर रहा है। इतनी बात तो निश्चित है कि ख़ान शैख़ून को सीरियाई सेना के हाथ में जाने से रोकने के लिए नुस्रा फ़्रंट के आतंकियों को हथियार देने के उद्देश्य से तुर्की द्वारा एक सैन्य कारवां का भेजा जाना, रूस और तुर्की के मतभेदों को और अधिक बढ़ा देगा विशेष कर इस लिए भी कि रूसी नेतृत्व ने, अमरीका व तुर्की द्वारा संयुक्त रूप से इस क्षेत्र में बफ़र ज़ोन बनाए जाने की कोशिश की आलोचना की है।   अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाज़ी है कि सीरिया संकट में सामने आने वाले नई परिवर्तनों का परिणाम क्या होगा और क्या तुर्की के सैन्य कारवां पर सीरिया का हवाई हमला, दोनों पक्षों के बीच सैन्य टकराव का कारण बनेगा? जो औपचारिक बयान सामने आए हैं उनके आधार पर कहा जा सकता है कि सीरिया की सेना, इदलिब पर सकरार की प्रभुसत्ता स्थापित करने के लिए अपनी प्रगति जारी रखेगी और यह कार्यवाही, तेल व गैस के भंडारों से संपन्न पूर्वी फ़ुरात के क्षेत्र में अमरीका व कुर्द छापामारों की उपस्थिति रोकने की भी भूमिका है।   पूर्वी हलब और पूर्वी ग़ोता में जो कुछ पहले हुआ, वही अब ख़ान शैख़ून में होने जा रहा है और जल्द ही इदलिब में भी यही बात दोहराई जाएगा, बस बुनियादी अंतर यह है कि इसमें कोई मध्यस्थ नहीं है जो आतंकियों के लिए सुरक्षित या कथित "हरी" बसें तैयार करे। हां अगर तुर्की नुस्रा फ़्रंट और उसके घटक दसियों हज़ार आतंकियों के साथ सीरिया के तीस लाख नए शरणार्थियों का स्वागत करने के लिए तैयार हो तो एक अलग बात है लेकिन तुर्की के अंदर सीरियाई शरणार्थियों के लिए जो द्वेष पाया जाता है और उन्हें बाहर निकालने की मांग जिस तरह बढ़ती जा रही है, उसके दृष्टिगत इसकी संभावना भी बहुत कम है।

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