जल्द बनेगी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी-अवधी भाषा अकादमी; सीएम योगी ने दिया आश्वासन

व्यूज़ 24 (अनूप कुमार - लखनऊ, उत्तर प्रदेश) :: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लखनऊ में उनसे मिले एक शिष्टमंडल को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार की ओर से जल्द ही भोजपुरी-अवधी भाषा अकादमी का गठन किया जायेगा। महाराष्ट्र के राज्यमंत्री व मुंबई भाजपा के प्रदेश महामंत्री अमरजीत मिश्र के नेतृत्व में भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन और सुप्रसिद्ध लोकगायक व अभिनेता दिनेशलाल यादव निरहुआ ने रविवार की सुबह लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर यह मांग की, कि जिस यूपी में भोजपुरी व अवधी की गंगा बहती हो, वहां इस भाषा की अक्षर विरासत को सहेजने व सांस्कृतिक परंपराओं को पुष्पित पल्लवित करने के लिए कोई सरकारी उपक्रम नहीं है। शिष्टमंडल ने 2 महिने से अधिक समय तक प्रयागराज में चले महाकुंभ का आयोजन सफलता-पूर्वक संपन्न कराने पर योगी आदित्यनाथ का सम्मान भी किया।

भाजपा नेता मिश्र ने बताया कि भोजपुरी व अवधी भाषा यूपी के कई जिलों में बोली जाती है। उत्तरप्रदेश में बनारस से बलिया,देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर गाजीपुर भोजपुरी के क्षेत्र माने जाते हैं। बनारस के दूसरी ओर जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर के पश्चिमी भाग और मिर्जापुर में अवधी से मिलती-जुलती पश्चिमी भोजपुरी बोली जाती है। जबकि इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली,सुल्तानपुर, फैजाबाद, बस्ती,बहराइच से लेकर लखनऊ तक के क्षेत्रों में अवधी भाषा बोली जाती है।

उल्लेखनीय है कि आज भोजपुरी व अवधी भाषा का विस्तार तेजी से हाे रहा है। इसकी पहुंच दुनिया भर में है क्योंकि यहां के लोग हर जगह पर मौजूद हैं। ये जहां भी गए अपनी भाषा को भी वहां पर पहुंचाने में सफल रहे। अभिनेता रवि किशन ने कहा कि भोजपुरी और अवधी भाषा क्या है, कहां से शुरू हुई और कैसे इसका धीरे-धीरे विस्तार होता गया? यह सभी को समझाने की आवश्यकता है।भोजपुरी व अवधी एक मीठी भाषा के साथ साथ परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है, यूपी जिसकी जननी है।

अभिनेता-गायक दिनेशलाल यादव निरहुआ ने कहा कि इस भाषा को बोलने वाले, उसे जानने और समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों में है, इसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाए गए मजदूर हैं, ये गए तो थे वहां मजदूरी करने लेकिन वहीं के होकर रह गए। अब इनके वंशज जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमें मॉरिशस, सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख हैं जहां भोजपुरी - अवधी का बोलबाला है। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि भोजपुरी व अवधी भाषा की अक्षर विरासत रामचरित मानस के रुप मे सुरक्षित थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिष्टमंडल को बताया कि अकादमी के संदर्भ में की गई मांग उचित है। राज्य सरकार द्वारा जल्द ही इसके गठन की औपचारिक घोषणा की जायेगी।

उल्लेखनीय है कि भोजपुरी भाषा का इतिहास 7 वीं सदी से शुरू होता है। यह 1000 से अधिक साल पुरानी है। गुरु गोरखनाथ ने 1100 वर्ष में गोरख बाणी लिखी थी। संत कबीर दास ने अवधी में दोहे लिखे। बाबा तुलसी ने रामचरित मानस की रचना की। अवधी परिवेश में बनी 'नदिया के पार' जैसी फिल्म ने भारतीय संस्कृति की छंटा तो बिखेरी ही, साथ ही सफलता के नए कीर्तिमान भी बनाये।

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