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वैन (हेमन्त कुमार शर्मा - दिल्ली) :: 27 फरवरी 1986 को जन्मे इस भारतीय खिलाड़ी ने 33 साल की उम्र में साल 2004 में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान भारतीय हॉकी टीम में प्रवेश किया था जिसके बाद वह सभी के लिये चर्चा का केंद्र बन गये। वह भारतीय पेनल्टी कॉर्नर स्पेशलिस्ट और दुनिया के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकरों में से एक के तौर पर जाने गए। भूल नहीं सकते दुर्घटना का वह दिन इस खिलाड़ी के लिये वह एक ऐसा वक्त था जिसको वह ताउम्र भुलाये नहीं भूलेगा, जब वह एक दर्दनाक हादसे के शिकार हुए थे। उन्हें विश्व कप में हिस्सा लेने जर्मनी जाना था और वह अपने टीम के साथियों के साथ के लिए कालका शताब्दी एक्सप्रेस से दिल्ली आ रहे थे। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के एक जवान की बंदूक से गलती से गोली चल चल गई जो सीधी उनकी कमर के निचले हिस्से में लगी। यहीं से शुरू हुई इस खिलाड़ी के जीवन की असली संघर्ष परीक्षा। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि देश के लिए खेलने वाला यह खिलाड़ी जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ेगा और उससे पार पा जाएगा। गोली लगने के हादसे के बाद यह खिलाड़ी लगभग पूरी तरह टूट चुका था। इसका सबसे बड़ा कारण था उस विश्वकप का हिस्सा ना बन पाना जो हर एक खिलाड़ी का सपना होता है। इस हादसे के कारण यह खिलाड़ी लगभग 2 साल के लिए व्हील चेयर के सहारे रहा। घरवाले और बाहरवाले सभी उम्मीद खो चुके थे कि वह कभी दोबारा से मैदान पर विपक्षियों से फिर उलझता दिखाई देगा। लेकिन इस खिलाड़ी के हौंसले और जीवन के संघर्ष की दाद देनी होगी जो सभी बाधाओं को पार करता हुआ, उनसे लड़ता हुआ खुद अपने पैरों पर खड़ा हो गया और पूरी दुनिया ने उसका लोहा माना। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान फ्लिकर सिंह यानि कि संदीप सिंह की। कहते हैं ना कि खिलाड़ी के जीवन में खेल आता तो संघर्ष से है लेकिन साथ वह खिलाड़ी का अंत तक निभाता है। संदीप सिंह जब डॉक्टर की बात से भी वाकिफ नहीं हुए तो उन्होंने डॉक्टर को कहा कि मैं फिर खेलना चाहता हूँ और खेल कर पूरी दुनिया को दिखाऊंगा। दोस्त-परिवार और खेल प्रेमी उम्मीद खो चुके थे कि अपनी चतुराई से सभी विपक्षियों को मात देने वाला यह धुरंधर अब किसकी परछाई में खो जायेगा? लेकिन सन्दीप ने किसी की ना सुनी और अपनी जिद पर अड़कर बेहद अड़िग स्वभाव से उसी खेल के मैदान में 2 साल तक संघर्ष करने के बाद दोबारा कदम रखा, जिसको आप और हम हॉकी के नाम से जानते हैं। वापसी के बाद ‘सुल्तान अजलान कप’ में संदीप सिंह की मौजूदगी में भारत ने दमदार प्रदर्शन किया। साल 2009 में संदीप सिंह को भारतीय हॉकी टीम का कप्तान घोषित किया गया। संदीप सिंह कहते हैं कि सभी उम्मीद खो चुके थे लेकिन यह मेरी इच्छा शक्ति और समर्पण था जो मैं यहां आप सभी के सामने हूं। आज (गुरुवार को) हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है। इसमें 10 मंत्रियों के साथ संदीप सिंह ने भी राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली। राजनीति में आने से पहले संदीप सिंह हरियाणा पुलिस में थे जहां वह हॉकी को अलविदा कह आये थे। उधर, दिलजीत दोसांझ और तापसी पन्नू की फिल्म ‘सूरमा’ भी फ्लिकर सिंह पर आधारित थी। फिल्म में जीवन के बारे में दिखाया गया है कि कैसे गोली लगने के बाद 2 साल से अधिक के लिए संदीप सिंह पैरालाइज का शिकार हो जाते हैं और उसके बाद फिर से भारतीय हॉकी टीम में वापस लौटते हैं।
On Fri, Mar 29, 2024