हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाय - डॉ मीना कुमारी 'परिहार'

पटना :: भाषा हमारे सोचने की दिशा निर्धारित करती है। हम बोलें चाहे कोई भी भाषा मगर सोचते हैं अपनी मातृभाषा में ही है।

महात्मा गांधी ने कहा था,"राष्ट्रभाषा वहीं हो सकती है, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए सहज और सुगम हो। जो धार्मिक और आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में एकता स्थापित करने की शक्ति रखती हो।जिस भाषा को बोलने वालों की संख्या अधिक हो।..... "यही राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित हुई है!"

किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उसे ही बनाया जाता है जो उस देश में व्यापक रूप में फैली होती है। संपूर्ण देश में यह संपर्क भाषा व्यवहार में लाई जाती है। राष्ट्रभाषा संपूर्ण देश में भावात्मक तथा सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रधान साधन होती है। इसे बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक होती है।

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी भारत के प्रमुख राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश में प्रमुख रूप से बोली जाती है।हमारी हिन्दी भाषा में प्रचुर साहित्य उपलब्ध है। सभी विधाओं में साहित्य लिखा हुआ है। जैसे कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास आदि। इन विधाओं के लेखकों को महत्त्वपूर्ण साहित्यिक पुरस्कार भी प्रापत हुए हैं।

हिन्दी भारत की स्वयं सिद्ध राष्ट्रभाषा है।इसे बोलने वालों का प्रतिशत 70से भी अधिक है।

किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करना पड़ता है। हमारी हिन्दी भाषा भी क‌ई संघर्षों के बाद वर्तमान स्थिति तक पहुंची है। हिन्दी भाषा के विकास में संतों, महात्माओं तथा उपदेशकों का योगदान भी कम नहीं आंका जा सकता है।इनका जनता पर बहुत बड़ा प्रभाव होता है। उत्तर भारत के भक्तिकाल के प्रमुख भक्त कवि सूरदास, तुलसीदास तथा मीराबाई के भजन सामान्य जनता द्वारा बड़े शौक से गाए जाते हैं। इसकी सरलता के कारण ही क‌ई लोगों में कंठस्थ है।इसका प्रमुख कारण हिन्दी भाषा की सरलता,सुगमता तथा स्पष्टता है।संतों महात्माओं द्वारा प्रवचन भी हिन्दी में ही दिए जाते हैं। क्योंकि अधिक-से अधिक लोग इसे समझ पाते हैं।

उसी प्रकार महाराष्ट्र के संत नामदेव,संत ज्ञानेश्वर आदि गुजरात प्रांत के नरसी मेहता, राजस्थान के दादू दयाल तथा पंजाब के गुरुनानक आदि संतों ने अपने धर्म तथा संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए एकमात्र सशक्त माध्यम हिन्दी को बनाया।हमारा फिल्म उद्योग तथा संगीत हिन्दी भाषा के आधार पर ही टिका हुआ है।

मेरा मानना है कि सर्वाधिक बोलेजाने वाली हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय भाषा घोषित करनी चाहिए।

"महिला काव्य मंच"पटना ईकाई के द्वारा आंनलाईन काव्य गोष्ठी आयोजित किया गया। विषय- "हिन्दी माथे की बिंदी"सभी कवयित्रियों की एक से बढ़कर एक रचना की प्रस्तुति रही। जिसमें हिन्दी की महत्ता को बतलाया गया। कविताएं मन को आह्लादित करती रहीं।

मंच संचालन डॉ मीना कुमारी'परिहार' , डॉ प्रतिभा पराशर ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव ने किया।
डॉ मीना कुमारी'परिहार' ने-भारत की पहचान हिन्दी से है
भारत की शान हिन्दी से है।
वीणा श्री हेम्ब्रम-हिन्दी हमारी राजभाषा...
डॉ प्रतिभा पराशर-हिन्दी से ही जन गण मन है...
ऋचा वर्मा-हिन्दी मेरे ज्ञान की भाषा...
डॉ अणिमा श्रीवास्तव-मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूं...
डॉ पुष्पा जमुआर- हिन्दी दिवस की देखो हाल...
माधुरी भट्ट-मातृभाषा हिन्दी, राजभाषा हिंदी...
डॉ पुष्पा गुप्ता-बंद मुट्ठी की जैसी हिन्दी...
शैल केजरीवाल-मां भारती के चरणों में...
अश्मजा-हिन्दी से हिन्दुस्तान की है इन बान शान...
पुनम देवा-सरल ,सहज, सुन्दर अभिव्यक्ति...
प्रेमलता सिंह-बचपन की तोतली बोली हैं हिन्दी...
निशु चौरसिया-यूं तो मैं सोचती नहीं...

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