गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा 23-24 फरवरी की हड़ताल और कर्मचारियों के बारे की गई बयानबाजी निन्दनीय - सीटू

वैन (भिवानी - हरियाणा ब्यूरो - 28.01.2022) :: मजदूर संगठन सीटू ने गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा 23-24 फरवरी की हड़ताल और कर्मचारियों के बारे की गई बयानबाजी की निंदा की है। संगठन ने मांग की है कि चढूनी को इस बयान के लिए खेद प्रकट करना चाहिए। सीटू जिला अध्यक्ष राममेहर सिंह व जिला सचिव अनिल कुमार ने कहा कि किसान आंदोलन और किसान मोर्चा के एक बड़े नेता द्वारा मजदूरों-कर्मचारियों तथा देशव्यापी हड़ताल के प्रति अशोभनीय भाषा और नजरिया पेश करना बेहद अफसोसजनक है। इस देशव्यापी हड़ताल में करोड़ो मजदूर-कर्मचारी हिस्सा लेंगे। यह हड़ताल केंद्र सरकार की पूंजीपतिपरस्त नीतियों के खिलाफ है। जिन नीतियों से किसान भी बुरे तरीके से प्रभावित है। छोटा और मझोला किसान बर्बादी की तरफ धकेला जा रहा है। इन्ही नीतियों का परिणाम तीन कृषि कानूनों के रूप में आया था जिसे लेकर 1 साल के संघर्ष के दम पर आखिर उन कानूनों को वापस करवाया गया है। कानून वापस हो गए लेकिन किसानों को जमीन से बेदखल करने के कदम उठाए जा रहे हैं। हरियाणा में ही भाजपा सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करना इसका उदाहरण है। चढूनी को यह नहीं भूलना चाहिए कि किसान आंदोलन में मजदूरों और कर्मचारियों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। तन-मन-धन तीनों तरह से किसान आंदोलन का हिस्सा यह तबके रहे हैं। इसीलिए किसान आंदोलन में मजदूर किसान एकता के नारे लगते रहे हैं। चदुनी ने अपने संगठन का नाम भी राष्ट्रीय किसान मजदूर फैडरेशन रख रखा है। भारतीय जनता पार्टी पूरे किसान आंदोलन में मजदूरों और किसानों के बीच विभाजन पैदा करने के प्रयास करती रही है। क्या चदुनी की यह बयानबाजी इस मामले में सरकार की मदद ही तो नहीं कर रही। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए की वे किसके पाले में खड़े हैं।

संगठन नेताओं ने कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 23-24 फरवरी को होने जा रही देशव्यापी हड़ताल का समर्थन और उसमे भाग लेने के निर्णय का स्वागत करते हैं। इस हड़ताल का आह्वान भाजपा समर्थित संगठन बीएमएस को छोड़ देश के तमाम केंद्रीय मजदूर संगठन और कर्मचारी फेडरेशन ने मिलकर किया है। जिसका प्रमुख मुद्दा है सरकारी, सार्वजनिक क्षेत्र, बैंक, बीमा, रेलवे, बिजली, पेट्रोलियम आदि तमाम क्षेत्रों को कारपोरेट को सौंपने से बचाना। चार लेबर कोड्स (कानून) वापस करवाना। जिन कानूनों में देश में युवाओं की आने वाली पीढि़यों को पूंजीपतियो, फैक्ट्री, कंपनी मालिकों का गुलाम बनाने का प्रबंध किया गया है। जिसने स्थाई रोजगार को एक प्रकार से खतम कर दिया गया है। न्युनतम वेतन, पीएफ, ईएसआई, नौकरी सुरक्षा जैसे कानूनों को दांव पर लगा दिया है। चडूनी को पता होना चाहिए कि देश में करोड़ो करोड़ मजदूरों को 12-12 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी 8-10 हजार रुपए महीना वेतन नहीं मिलता। जो इस हड़ताल में शामिल होकर न्यूनतम वेतन और 8 घंटे काम के लिए हिस्सा लेने जा रहे हैं। उन्होंने कहा की संयुक्त किसान मोर्चा की समझ अपने अनुभव से बनी है कि जब तक देश के मजदूरों और किसानों की एकता नहीं बनती तब तक निजीकरण और पूंजीपतियो की नीतियों को नहीं बदला जा सकता। इसलिए आज किसान मजदूर एकता की बात सबकी जुबान पर है। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि देश की आबादी का 48 करोड़ से ज्यादा मजदूर हैं। और मजदूर किसान ही देश के असली निर्माता है। 23-24 फरवरी की हड़ताल में किसानों को फसलो पर एम एस पी की गारंटी व बकाया मुद्दो के समाधान की मांग भी प्रमुख मांग है। इसलिए गुरनाम सिंह चदुनी को अपने बयान पर खेद प्रकट करते हुए इसे वापस लेना चाहिए।

सीटू नेताओं ने कहा कि 23 -24 फरवरी की हड़ताल देश बचाने और जनता बचाने के नारे को लेकर है। इसकी जबरदस्त तैयारी चल रही है और किसानों का भी हड़ताल के अभियान में व्यापक समर्थन मिल रहा है।

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