पांच साल की बच्ची का अपहरण, दुष्कर्म और हत्या कर आटे के डिब्बे में रख दिया शव - कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

व्यूज़ 24 (भगत तेवतिया - पलवल, हरियाणा) :: जिला पलवल की अतिरिक्त सेशन जज करुणा शर्मा की कोर्ट ने सोमवार को एक युवक को फांसी की सजा व आरोपी का साथ देने वाली उसकी मां को सात साल की सजा सुनाई। आरोपी ने पांच वर्ष की बच्ची का अपहरण कर, पहले उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर तेजधारदार हथियार से हत्या कर घर के एक पुराने से कमरे में रखे आटे के डिब्बे में शव को बंद करके रख दिया था। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व सदर थाना पुलिस ने इस संबंध में आरोपी विरेंद्र उर्फ भोला व उसकी मां कमला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 201, 365, 376डी व 34, 6 पोक्सो एक्ट के अलावा 120 बी के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी।

पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता कंवर राजेश सिंह रावत ने बताया कि जिले के गदपुरी थाना क्षेत्र के एक गांव में 31 मई 2018 को एक शादीशुदा 27 वर्षीय नौकर ने अपने ही मालिक की 5 साल की बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी थी। आरोपी ने पांच वर्षीय बच्ची के शव को अपने घर में रखे आटे के डिब्बे में छिपा कर रख दिया। खोजबीन के बाद जब बच्ची का शव आरोपी के घर से बरामद हुआ था। पुलिस ने इस संबंध में मुख्य आरोपी व उसका साथ देने वाली उसकी मां के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म, 6 पोस्को एक्ट व हत्या के तहत मामला दर्ज कर आरोपी विरेंद्र उर्फ भोला को गिरफ्तार कर लिया था। उसी दिन से मामला अदालत में विचाराधीन था। अदालत ने शुक्रवार को दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया था और सोमवार को जिला पलवल की अतिरिक्त सेशन जज करुणा शर्मा की कोर्ट ने आरोपी विरेंद्र उर्फ भोला को फांसी की सजा व आरोपी का साथ देने वाली उसकी माँ कमला को सात साल की सजा सुनाई। अधिवक्ता राजेश रावत ने बताया कि आरोपी ने वारदात को अंजाम देने के बाद अपनी माँ के साथ मिलकर बच्ची के शव को ट्रेन की पटरियों पर डालकर इसे एक हादसा बनाने की भी साजिश रची थी। लेकिन वो अपने मंसूबो में कामियाब नहीं हो पाए। आपको बता दे कि जिला अदालत द्वारा पहली बार किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।

वहीं उसी गांव के अधिवक्ता राजेश रावत ने जिला अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसला को सराहनीय कदम बताते हुए कहा कि आज भी एक आम इंसान सबसे ज्यादा भरोसा एक अदालत करता था और अदालत ने भी ये सिद्ध कर दिया है। यहां देर है अंधेर नहीं। उन्होंने कहा कि हालांकि हमे न्याय मिलने में डेढ़ वर्ष का समय लगा। लेकिन ये जो न्याय उन्हें मिला है। उससे उन्हें ही नहीं बल्कि हर वो व्यक्ति जिसे कानून के बारे में कुछ पता नहीं है। उसे भी भरोसा होगा कि न्याय आज भी है।

वहीं मुश्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्य्क्ष युनीष अहमद ने जिला अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसला को सराहनीय कदम बताते हुए कहा कि इस तरह के फैसले अगर माननीय अदालत द्वारा सुनाए जाते है। जैसे निर्भया कांड में इस तरह का फैसला सुनाया गया है। उससे लोगो को कानून और अदालत पर भरोसा होगा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जो दरिंदे इस तरह की घिनौनी हरकते करते है। उन्हें फांसी की सजा ही नहीं बल्कि तुरंत अदालत द्वारा फांसी दी जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कहा कि आरोपी का साथ देने वाली उसकी माँ को भी 7 साल की जगह फांसी की सजा होनी चाहिए थी। क्युकी वो भी इस घिनौनी हरकत में उसके साथ थी।

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