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वैन (भिवानी - हरियाणा ब्यूरो) :: जिसके तन को लेकर शिव ने गीता ज्ञान उचारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। एक सौ चौवालीस साल के पहले, सिन्ध के कुल कृपलानी मैं। जन्म लिये व्यापारी के घर वत्स बल्लभा चारी मैं।। साधारण व्यापारी से फिर हीरे का व्यापार किया। खुद के प्रखर बुद्धि के कारण राजाओं का प्यार लिया।। राजा लोग तरस खाते धनिचित चरित्र तुम्हारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। भक्ति में दादा लेख राज ने काम तो खूब कमाल किया। नारायण प्रतिमा को रख दुनिय को एक मिसाल दिया।। हो जग का कल्याण किस तरह यही मनन चिन्तन था। सर्व आत्माओं के प्रति है अर्घ को यही बचन था।। गुरू के प्रति बड़ी श्रद्धा थी यम आदेश के सारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। यह तन है शिव को प्यारा जो भागीरथ में आये। बिछुड़ी हुई कल्प से आत्मा मिल कर अति सुख पाये।। कल्प के पहले जो शक्ति थी शिव सेना बन काके। जग परिवर्तन है करना शिव के सहयोगी बनके।। ईश्वरीय सम्पदा पर हक मेरा लगवाया यह नारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। जिस नारी को मानव ने पैरों तले दबाया। बाबा ने आकर उनसे ही-स्वर्ग द्वार खुलवाया।। नारी नारक का द्वार है-कह सन्तो ने फरमाया। सिंह वाहिनी शिव शक्ति बाबा कह मान बढ़ाया।। समदर्शी का पाठ सिखा कर जग को दिया सहारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। बाबा ने अपना तन अव्यक्त किया। सहज ज्ञान व राज योग का सच्चा-सच्चा ज्ञान दिया।। गृहस्ती में पोनी काके, कमन पुष्प सम्मान दिया। शिव बाबा के मुख वंशी बन ब्राह्मण पद का मान लिया।। ऐसे बाबा बड़ भागी है वना दिया शिव का प्यारा। है प्रजा पिता श्री ब्रह्मा अभिवादन करें तुम्हारा।। कवि: बीके नंदलाल ब्रह्माकुमारी दिव्य भवन-रूद्रा कालोनी भिवानी।
On Thu, Apr 25, 2024
On Wed, Apr 24, 2024