"सर्व शिक्षा" और "स्वच्छ भारत अभियान" आगरा में सुपुर्द-ए-ख़ाक

वैन (ब्रज किशोर शर्मा - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: सरकार सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने और हर बच्चे को शिक्षा दिलाने के लिए तमाम योजनाएं बना रही है। इतना ही नहीं प्रदेश से लेकर देश की सरकारें भी स्कूल चलो अभियान के तहत रैलियां निकालकर बच्चों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर रही हैं। यही नहीं स्वच्छ भारत अभियान के लिए भी सरकार कितने कदम उठा रही है। लेकिन सरकार की मंशा को पलीता लगाती एक तस्वीर से हम आपको रूबरू कराते हैं जो है ताजनगरी आगरा से। यह सरासर सरकार के मंसूबों पर पानी फेरती नजर आती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं आगरा के बिचपुरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत अजीजपुर के नगला ऊदा की। यहां पिछले 20 साल से जलभराव की समस्या है। सैकड़ों बार शासन, प्रशासन और शिक्षा विभाग को अवगत कराने के पश्चात भी आज तक नगला ऊदा के बाशिंदे नारकीय जीवन जीने के लिए विवश हैं। ऐसा नहीं है कि यंहा के लोग इस समस्या के लिए आवाज नहीं उठाते। यह लोग हर वर्ष इस नरक से बाहर निकलने के लिए प्रदर्शन और ज्ञापन देने के साथ-साथ सड़कों पर उतरने का काम भी करते हैं। मगर हर बार इन्हें अधिकारियों से मिलता है तो बस आश्वासन और सिर्फ आश्वासन।

यंहा बात सिर्फ सड़कों की नही है। आज इस क्षेत्र की स्थिति इतनी भयानक हो चुकी है कि पूरे गांव के हर घर में नाले और तालाब का गंदा पानी भरा हुआ है। हालात यह हैं कि इनके नलों से जो पानी आता है वो हरे रंग का गंदा पानी होता है।

चलिये अब तक हम क्षेत्र के लोगों की परेशानी और उनके घरों में आते गन्दे पानी की समस्या से रूबरू हो रहे थे और अब आपको बताते हैं यंहा की सबसे बड़ी समस्या। यह समस्या है क्षेत्र के सैंकड़ों नोनिहालों के पढ़ाई की। वैसे तो सभी सरकारी स्कूल 1 तारीख से खुल गए हैं लेकिन नगला ऊदा में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय एवं जूनियर हाई स्कूल में इतना जलभराव है कि अभी तक एक भी दिन भी विद्यालय में क्लास नहीं लगी है। कारण है स्कूल में जलभराव।

जलभराव के चलते आलम यह है कि यहां के गरीब बच्चे शिक्षा से भी वंचित रह रहे हैं। स्कूल की हालत यह बताने के लिए काफी है कि शिक्षा विभाग हो या स्थानीय प्रशासन किस तरह सरकारों की मंशा को पलीता लगाते हुए नन्हे-नन्हे मासूम बच्चों को शिक्षा से मेहरूम कर रहा है? ऐसा नही है कि यंहा के बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता या वो बड़े होकर कुछ बनना नहीं चाहते। यंहा भी कोई डॉक्टर, कोई टीचर बनना चाहता है मगर बनें तो बनें कैसे? स्कूल की हालत उनको डराती रहती है।

बरहाल मुख्य विकास अधिकारी इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए इस समस्या का जल्द से जल्द निदान करने की बात कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि इस इलाके का समाधान कब तक और कैसे होगा?

उधर, अगर लापरवाही और उदासीनता यूं ही चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब बच्चे स्कूल में क, ख, ग और ए, बी, सी, डी सीखने की जगह स्कूल को दूर से ही निहारा करेंगे। ऐसे में शिक्षा विभाग हो या प्रशासन; उनको अपनी कुंभकरणी नींद से जागना ही होगा। नहीं तो इन छोटे और मासूमों का भविष्य बनने से पहले ही इस जलभराव में डूबकर दूर कहीं अंधकार में खो जाएगा।

Responses

Leave your comment